CAA: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने सीएए को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की है. सीएए का विरोध कर रहे लोगों ने इसे धार्मिक विभाजन वाला बताया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम- 2019 और नागरिक संशोधन नियम- 2024 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले की सुनवाई 9 अप्रैल को होगी.
Supreme Court issues notice to Centre on the pleas seeking stay on the Citizenship Amendment Act (CAA), 2019 and Citizen Amendment Rules, 2024.
— ANI (@ANI) March 19, 2024
Supreme Court asks the Centre to file its response by April 8 and posts the matter for hearing on April 9. pic.twitter.com/tC7UJ7AbJs
केंद्र ने कोर्ट से मांगा समय
केंद्र सरकार ने नागरिकता नियम- 2024 के लागू होने पर रोक वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए. तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता. इससे देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी.
अधिसूचना पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीएए पर तत्काल रोक लगाने की मांग की. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि सीएए के तहत एक बार किसी को नागरिकता दे दी गई तो उसे वापस लेना बहुत मुश्किल होगा. ऐसे में सीएए पर अभी ही रोक लगानी चाहिए. हालांकि याचिकाकर्ताओं की नागरिकता संशोधन नियम- 2024 पर रोक लगाने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक से संबंधित कोई आदेश पारित नहीं किया है.
Petitioners urge Supreme Court to stay the Citizen Amendment Rules, 2024, however, the court didn’t pass any such order.
— ANI (@ANI) March 19, 2024
याचिकाकर्ताओं का क्या है तर्क
सीएए को लेकर याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. उनका तर्क है कि इस कानून के तहत मुसलमानों को धार्मिक आधार पर अलग किया गया है. गौरतलब है कि सीएए कानून लागू होने के बाद से विपक्ष समेत कई और संगठनों ने इसका जोरदार विरोध किया है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सीएए के विरोध में खड़ी है. लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है.
कई सियासी दल और नेता कर रहे हैं विरोध
सीएए के खिलाफ कई दलों ने विरोध किया है और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी समेत कई और संगठन इसके खिलाफ खड़े हैं.
क्यों हो रहा है सीएए को लेकर बवाल
सीएए को लेकर सुप्रीम में सुनवाई हो रही है. आज यानी मंगलवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ मामले में अब नौ अप्रैल को सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि संसद में इस विवादास्पद कानून पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र ने 11 मार्च को इसे लागू किया था. इस कानून के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. वहीं, विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है.
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