तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन का डैम निर्माण शुरू, भारत के लिए बढ़ी चिंता

Mega Dam: चीन ने शनिवार को तिब्बत और भारत से होकर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध निर्माण कार्य की शुरुआत की. इस बांध के बनने के बाद प्रति वर्ष इससे लगभग 300 अरब किलोवाट घंटे की बिजली का उत्पादन किया जाएगा. इस परियोजना की कुल लागत लगभग 167 बिलियन डॉलर है.

By Neha Kumari | July 20, 2025 9:50 AM
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Mega Dam: चीन ने 19 जुलाई को तिब्बत और भारत से होकर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्सांगपो नदी) पर एक मेगा बांध का निर्माण शुरू किया. चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस परियोजना की कुल लागत 1.2 ट्रिलियन युआन (लगभग 167 बिलियन डॉलर) है. इस परियोजना के शुरू होने का ऐलान चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने किया.

दिसंबर चीन ने दी थी इस परियोजना को मंजूरी

जानकारी के मुताबिक, पिछले वर्ष दिसंबर में चीन ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी. चीन द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बांध बनाने के पीछे का उद्देश्य कार्बन न्यूट्रलिटी हासिल करना और तिब्बत का आर्थिक विकास करना बताया गया है.

इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी चाइना याजियांग ग्रुप को दी गई

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस बांध से उत्पन्न होने वाली बिजली को अन्य इलाकों में भेजा जाएगा. साथ ही तिब्बत के स्थानीय लोगों की जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी चाइना याजियांग ग्रुप को दी गई है.

बांध के बनने से हर साल लगभग 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली का उत्पादन होगा

बताया जा रहा है कि इस बांध के निर्माण से हर साल लगभग 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली का उत्पादन किया जाएगा.

भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से क्या कहा गया?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना की शुरुआत भारत और चीन के बीच तनाव को बढ़ा सकती है, क्योंकि भारत लगातार इस परियोजना का विरोध करता आया है. ब्रह्मपुत्र नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है. भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने चीन से बातचीत कर आग्रह किया है कि इस परियोजना से भारत और निचले इलाकों के देशों को नुकसान न हो, यह सुनिश्चित करे. इसके जवाब में चीन की ओर से कहा गया है कि निचले इलाकों पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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