CISF के प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि गीता सामोता ने यह साहसी और कठिन चढ़ाई सोमवार को पूरी की. जब गीता एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थीं, तब वह सिर्फ एक पर्वतारोही नहीं थीं, बल्कि भारत की बेटियों के साहस और हौसले की जीवंत मिसाल थीं. उनकी यह सफलता न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है.
राजस्थान के छोटे से गांव से एवरेस्ट तक का सफर
35 वर्षीय गीता सामोता राजस्थान के सीकर जिले के चाक गांव की रहने वाली हैं. खेल की दुनिया से अपने सफर की शुरुआत करने वाली गीता एक प्रतिभाशाली हॉकी खिलाड़ी थीं. लेकिन एक चोट ने उनका खेल करियर रोक दिया। इसके बाद उन्होंने 2011 में CISF जॉइन किया और देश सेवा के नए रास्ते पर चल पड़ीं.
वर्तमान में वे उदयपुर हवाई अड्डा इकाई में तैनात हैं. पर्वतारोहण में गहरी रुचि होने के बावजूद जब उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा, तब CISF के पास कोई पर्वतारोहण टीम नहीं थी. लेकिन गीता ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से न सिर्फ खुद को साबित किया, बल्कि बल के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ा.
गीता सामोता ने 2019 में पर्वतारोहण का औपचारिक प्रशिक्षण हासिल किया और उसी साल उन्होंने माउंट सतोपंथ (7,075 मीटर) और नेपाल के माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर सफल चढ़ाई की. इन उपलब्धियों के साथ वे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की उन चुनिंदा महिला अधिकारियों में शामिल हो गईं जिन्होंने पर्वतारोहण में कीर्तिमान रचे.