Coal: देश में कोयले की अधिकांश आवश्यकता देश में ही कोयला उत्पादन से पूरी होती है. कोयले के आयात में मुख्य रूप से कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के गैर-कोकिंग कोल जैसे आवश्यक आयात शामिल हैं क्योंकि इनका घरेलू उत्पादन, या तो दुर्लभ भंडार या अनुपलब्धता के कारण सीमित है. भविष्य में कोयले की मांग को स्वदेशी स्रोतों से पूरा करने और कोयले के अनावश्यक आयात को कम करने के लिए, अगले कुछ वर्षों में घरेलू कोयला उत्पादन में सालाना 6-7 प्रतिशत की वृद्धि होने और 2029-30 तक लगभग 1.5 बिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
वर्ष 2024-25 में देश में कोयला उत्पादन 1 बिलियन टन पार कर चुका है. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 2026-27 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य तैयार किया है. वर्ष 2024-2025 में देशभर में घरेलू कोयला उत्पादन 1047.67 मिलियन टन (अनंतिम) रहा जबकि वर्ष 2023-2024 में यह 997.83 मिलियन टन था. यानी लगभग 4.99 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वर्ष 2024-25 के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 0.94 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 773.81 मिलियन टन की तुलना में 781.07 मिलियन टन (अनंतिम) कोयला उत्पादन किया.
सरकार ने उठाए कई कदम
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और देश में कोयले के अनावश्यक आयात को समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाये गये हैं. जिसमें सिंगल विंडो सिस्टम के तहत मंजूरी, खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-1957 में संशोधन किया गया, जिससे कैप्टिव खदानों को अंतिम उपयोगकर्ता संयंत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद अपने वार्षिक उत्पादन का 50 प्रतिशत तक बेचने की अनुमति मिल सके, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीकों का उपयोग बढ़ाना, नई परियोजनाएं और मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार और वाणिज्यिक खनन के लिए निजी कंपनियों/सार्वजनिक उपक्रमों को कोयला ब्लॉकों की नीलामी शामिल है. वाणिज्यिक खनन के लिए सौ प्रतिशत (100 प्रतिशत) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी अनुमति दी गई है.
कोयला आयात में निर्भरता कम करने के उद्देश्य से मई 2020 को कोयला मंत्रालय में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया. समिति के निर्देश पर कोयला मंत्रालय ने आयात डेटा प्रणाली विकसित की है ताकि मंत्रालय कोयले के आयात पर निगरानी रख सके. माल आयात नियंत्रित करने की विदेश व्यापार नीति के अनुसार कोयले का आयात बिना किसी प्रतिबंध के मुक्त रूप से किया जा सकता है. लेकिन दिसंबर 2020 से इसे मुक्त से संशोधित कर “कोयला आयात निगरानी प्रणाली (सीआईएमएस) पोर्टल में अनिवार्य पंजीकरण के अधीन” कर दिया गया है.
सीआईएल ने अपनाये नये तरीके
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं. अपनी भूमिगत खदानों में, जहां भी संभव हो, मुख्यतः सतत खनिकों (सीएम) के साथ, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक (एमपीटी) अपनाई जा रही है. सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों की भी योजना बनाई है. बड़ी क्षमता वाली यूजी खदानों की भी योजना बनाई जा रही है. अपनी ओपनकास्ट (ओसी) खदानों में, सीआईएल के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खननकर्ताओं, डम्परों और सतही खनिकों में अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है.
नई परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन हेतु अनुमति और मंज़ूरी शीघ्र प्रदान करने के लिए सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा नियमित संपर्क किया जा रहा है. एससीसीएल ने कोयला निकासी के लिए कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी), क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वेट-बिन इत्यादि बुनियादी ढांचे के विकास का काम शुरू कर दिया है.
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