‘पूरे देश पर डर हावी’
हालांकि, इसके अलावा अन्य मुद्दों पर पी चिदंबरम ने विरोध जताते हुए यह दावा किया कि पूरे देश पर डर हावी है और ये हालात लोकतंत्र के ठीक उलट हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले एक वर्ष से अधिक समय में उन्हें देश में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो भय से मुक्त हो. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बीते 18 महीनों में मैं जहां भी गया और जिससे भी बात की मैंने पाया कि उनकी सोच पर भय हावी है.
‘डर हटाने के लिए रवींद्र नाथ टैगोर की पंक्तियां सुनाता हूं’
उन्होंने कहा कि उनके डर को हटाने के लिए मैं रवींद्र नाथ टैगोर की वो पंक्तियां सुनाता हूं..जहां विचार भयमुक्त है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे एक भी ऐसा आदमी दिखा दीजिए जो यह कह सके कि दिमाग डर के साये में नहीं है और मैं कुछ भी कह सकता हूं, लिख सकता हूं, कर सकता हूं जिससे कानून का उल्लंघन न होता हो. बता दें कि पी चिदंबरम ने कोलकाता के एलन पार्क में ‘एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल’-2024 में अपनी नई किताब ‘द वाटरशेड ईयर-व्हिच वे विल इंडिया गो?’ पर चर्चा के दौरान यह बात कही.
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केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए
उन्होंने उस चर्चा में यह भी कहा कि उनसे किसी कारोबारी, वकील, चिकित्सक या लघु उद्योग से जुड़े किसी व्यक्ति ने यह नहीं कहा कि वह जो चाहें बोल सकते हैं और कोई भी फिल्म बना सकते है. पी चिदंबरम ने इसके अलावा भी केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पूरे देश में अभी डर हावी है और यह लोकतंत्र के विपरीत है. उन्होंने कहा कि जहां विचार भय रहित है, वहीं लोकतंत्र है.