क्यों है कांग्रेस परेशान
कांग्रेस के लिए अमरेली सीट पर जीत हासिल करना इस बार खासकर ऐसी स्थिति में आसान नहीं होगा, जब पाटीदार आरक्षण को लेकर आंदोलन फीका पड़ चुका है. इस बार कांग्रेस के सामने एक चुनौती और है जिससे वह परेशान है. दरअसल, विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता के सामने आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार की चुनौती है. आप कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
आप ने रवि धनाणी को अपना उम्मीदवार बनाया
अमरेली सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने जिला इकाई प्रमुख कौशिक वेकारिया को मैदान में उतारा है, वहीं आप ने रवि धनाणी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इन तीनों दलों के उम्मीदवार की बात करें तो ये पाटीदार समुदाय से संबंध रखते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में आधे से अधिक मतदाता पाटीदार हैं. अमरेली में जैसे ही आप इंट्री करेंगे तो देख सकेंगे कि हर प्रमुख मार्ग पर परेश के होर्डिंग लगे हैं. इन होर्डिंग में बताया गया है कि उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कितना काम किया है.
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परेश धनाणी के समर्थकों जोश में
कांग्रेस नेता परेश धनाणी के समर्थकों का कहना है कि यदि कांग्रेस ने 2017 में बहुमत हासिल किया होता तो परेश मुख्यमंत्री के पद पर नजर आते. विपक्षी दल 2017 में बहुमत के निकट आ गया था, लेकिन बात नहीं बनी. धनाणी ने कहा है कि यह चुनाव अहंकारी शासकों और गुजरात के लोगों के बीच की लड़ाई है. अमरेली ने गुजरात को हमेशा रास्ता दिखाया है और इस बार भी वे मुझे चुनेंगे एवं भाजपा के 27 साल के कुशासन के बाद बदलाव का आह्वान करेंगे.
भाजपा उम्मीदवार कौशिक वेकारिया ने क्या कहा
भाजपा उम्मीदवार कौशिक वेकारिया ने कहा है कि जब अमरेली के लोग विधायक (परेश) के पास किसी काम के लिए जाते हैं, तो वह कहते हैं कि वह उनका काम नहीं कर सकते क्योंकि मौजूदा सरकार में वह अपनी बात नहीं रख सकते. जिला इकाई अध्यक्ष होने के नाते मैं आपका काम करा सकता हूं और विधायक होने के बाद मेरे लिए जिले के विकास के लिए काम करना और आसान हो जाएगा.
कब-कब जीते परेश धनाणी
परेश धनाणी ने 2002 में इस सीट पर चुनाव जीता था, तब वह मात्र 26 साल के थे, लेकिन 2007 में उन्हें भाजपा के दिलीप संघानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. वह 2012 फिर से इस सीट से जीते और उन्होंने 2017 में इस क्षेत्र पर जीत बरकरार रखी.
भाषा इनपुट के साथ