Cooperative: सहकारिता क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए त्रिभुवन यूनिवर्सिटी बनाने का काम होगा शुरू

त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का मकसद सहकारी क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पेशेवर और प्रशिक्षित श्रमबल तैयार करने के साथ ही सहकार, इनोवेशन और रोजगार की त्रिवेणी को साकार करना है. यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के मौके मुहैया कराने का काम करेगा.

By Anjani Kumar Singh | July 4, 2025 6:05 PM
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Cooperative: देश में सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. पहली बार केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया और सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए दूरगामी फैसले लिए गए. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहकारिता क्षेत्र का अहम योगदान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारी क्षेत्र में क्षमता निर्माण और ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना करने का फैसला लिया गया है. 

शनिवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री गुजरात के आनंद में विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे. विश्वविद्यालय बनाने का मकसद सहकार, इनोवेशन और रोजगार की त्रिवेणी को साकार करना है. इस दौरान अमित शाह पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों काे आगे बढ़ाने के लिए एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत वृक्षारोपण में भी भाग लेंगे. साथ ही स्कूली छात्रों को सहकारिता के सिद्धांतों और भारत में सहकारी आंदोलन के प्रभाव से परिचित कराने के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनसीईआरटी) द्वारा तैयार एक शैक्षणिक मॉड्यूल भी लांच करेंगे. 


सहकारी क्षेत्र में पेशेवरों को तैयार करेगी संस्था

त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के मौके मुहैया कराने का काम करेगा. साथ ही इनोवेशन, क्षमता निर्माण और श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों को बढ़ावा देकर जमीनी स्तर पर सहकारी संस्थाओं को सशक्त और प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ-साथ समावेशी एवं सतत ग्रामीण आर्थिक विकास को गति देने का काम करेगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यूनिवर्सिटी में कई विषयों की पढ़ाई होगी, जैसे पीएचडी, प्रबंधकीय स्तर पर डिग्री, पर्यवेक्षक स्तर पर डिप्लोमा और संचालन स्तर पर प्रमाणपत्र शामिल होंगे.


अन्य राज्यों में भी स्थापित होंगे विश्वविद्यालय के परिसर

यह यूनिवर्सिटी अपने परिसर अन्य राज्यों में विषय-विशेष स्कूल स्थापित करेगी और सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करेगी. राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी अगले चार वर्षों में 200 से अधिक मौजूदा सहकारी संस्थाओं को साथ जोड़ने का भी काम करेगी. देश में लगभग 40 लाख सहकारी कर्मियों और 80 लाख बोर्ड सदस्यों की कौशल विकास और क्षमता निर्माण की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह यूनिवर्सिटी अगले पांच साल में प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स), डेयरी, मत्स्य, आदि जैसे सहकारी समितियों के करीब 20 लाख कर्मियों को  प्रशिक्षित करेगी. योग्य शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सहकारी अध्ययन पर आधारित पीएचडी कार्यक्रमों के जरिये मजबूत शिक्षक आधार तैयार करेगी.

 मौजूदा समय में देश में सहकारी संस्थाओं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इनोवेशन और सस्ती तकनीकों पर आधारित अनुसंधान एवं विकास को गति देने के लिए संस्थागत तंत्र नहीं है. इस कमी को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी में एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास परिषद बनाया जाएगा जो सहकारिता क्षेत्र में अनुसंधान और विकास का काम करेगी. 

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