Dalit Leaders: ऐसे दलित नेता जिन्होंने भारतीय राजनीति पर छोड़ी अपनी छाप

Dalit Leaders: देश में कई ऐसे दलित नेता रहे हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. बीआर आंबेडकर, बाबू जगजीवन राम, मीरा कुमार, राम विलास पासवान से लेकर मायावती तक ऐसे नाम हैं जिन्होंने काफी बुलंदियों को छुआ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2024 6:10 AM
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बीआर आंबेडकर : भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीम राव आंबेडकर ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सक्रिय भूमिका निभायी थी. सामाजिक व्यवस्था और कानून के जानकार होने के कारण नेहरू ने अपने पहले मंत्रिमंडल में उन्हें कानून और न्याय मंत्रालय का जिम्मा दिया. जाति व्यवस्था के खिलाफ लगातार लड़ने वाले आंबेडकर सामाजिक और आर्थिक विषयों के विद्वान माने जाते थे.

बाबू जगजीवन राम : बाबूजी के नाम से प्रसिद्ध जगजीवन राम ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बिहार से सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. नेहरू कैबिनेट में श्रम, ट्रांसपोर्ट, रेलवे जैसे कई मंत्रिमंडल संभालने के बाद, ये 1977 में भारत के चौथे उप-प्रधानमंत्री बने. 1971 में भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान वे भारत के रक्षा मंत्री भी थे, जिसमें बांग्लादेश का जन्म हुआ था.

कांशीराम : बहुजन नायक के नाम से प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक कांशीराम ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की. बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों पर चलते हुए कांशीराम ने लगातार दलितों और पिछड़ों के लिए काम किया. 1991-1996 तक उत्तर प्रदेश के इटावा से सांसद रहे राम ने 2001 में मायावती को अपना उत्तराधिकारी चुनने की घोषणा कर दी थी.

राजनीतिज्ञ

राम विलास पासवान : 1980 के दशक में बिहार में दलित नेता के रूप में उभरे रामविलास पासवान नौ बार लोकसभा सांसद तथा दो बार राज्यसभा सांसद रहे. सन 2000 में जनता दल टूटने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी बनायी. लंबे समय तक वे केंद्र में मंत्री भी रहे. रामविलास के पास छः प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड भी है.

सुशील कुमार शिंदे : पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गये और राज्यमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और मुख्यमंत्री तक हर पद पर रहे. एक बार महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. 2006 में वह राज्यसभा पहुंचे और यूपीए की केंद्र सरकार में ऊर्जा मंत्री बनाये गये. 2009 में चुनाव में दूसरी बार ऊर्जा मंत्री बनाए गए और 31 जुलाई, 2012 को गृहमंत्री बने.

मायावती : मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं. वह भारत में अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं. वह बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 1989 में इन्होंने बिजनौर लोकसभा सीट से पहली जीत हासिल की. इस चुनाव के बाद मायावती लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गयी थी. वह भारत में दलित समाज की बड़ी नेता मानी जाती हैं.

प्रकाश आंबेडकर : बाबासाहेब के पोते और भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर की गिनती महाराष्ट्र के बड़े दलित नेताओं में होती है. उनकी राजनीति अलग है. वह वह लेफ्ट, सोशलिस्ट और दलितों की सारी पार्टियों को साथ लेकर चलना चाहते हैं. जयंत पाटिल, लेफ्ट के अशोक ढवले, प्रकाश रेड्डी और जनता दल के कई नेता उनके साथ हैं.

राम रतन राम : राम रतन राम 1952 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गये और 1984 में केंद्र में जाने तक लगातार हर चुनाव जीते. वह कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे. उन्होंने एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. वह झारखंड राज्य के गठन के अग्रदूतों में से एक थे. बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री भी रहे.

राष्ट्रपति

केआर नारायणन : वर्ष 1992 में केआर नारायणन को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया. इसके बाद वर्ष 1997 में नारायणन को भारत के दसवें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. वे इस प्रतिष्ठित पद को ग्रहण करने वाले केरल के पहले व्यक्ति और पहले दलित थे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं का सावधानीपूर्वक पालन किया.

रामनाथ कोविंद : उत्तर प्रदेश से भाजपा के दलित नेता रामनाथ कोविंद भारत के 14 वें राष्ट्रपति चुने गये. 1994 में कोविंद यूपी से राज्यसभा के लिए सांसद चुने गये. वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. वे कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं. हाल ही में एक राष्ट्र-एक चुनाव को लेकर बनायी गयी समिति के वे अध्यक्ष भी रहे.

लोकसभा अघ्यक्ष

जीएमसी बालयोगी : 90 के दशक के अंत में देश गठबंधन के दौर से गुजर रहा था और 1998 में हुए मध्यावधि चुनाव से 12वीं लोकसभा का गठन किया गया. केंद्र में भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार बनी. वाजपेयी सरकार ने स्पीकर का पद बाहर से समर्थन दे रही तेलुगू देशम पार्टी को दिया. जीएमसी बालयोगी स्पीकर चुने गये. उन्हें देश के पहले दलित स्पीकर होने का गौरव हासिल है.

मीरा कुमार : 2017 राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार पांच बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं. 1985 में यूपी के बिजनौर से चुनावी राजनीति में प्रवेश करने वाली मीरा कुमार राम विलास पासवान और मायावती को भारी मतों से हरा चुकी हैं. इसके अलावा वे 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. मीरा कुमार पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं.

मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री राज्य
दामोदरम संजीवय्या आंध्र प्रदेश
रामसुंदर दास बिहार
भोला पासवान बिहार
जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान
मायावती उत्तर प्रदेश
सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब

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