Defense: ड्रोन और हवाई रक्षा प्रणाली के स्वदेशीकरण पर विशेषज्ञ करेंगे मंथन

एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय (मुख्यालय आईडीएस), संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) के सहयोग से रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने को लेकर यूएवी और सी-यूएएस क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों से आयातित महत्वपूर्ण उपकरणों के स्वदेशीकरण पर एक कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन बुधवार से शुरू कर रहा है. इसका मकसद यूएवी और सी-यूएएस उपकरणों पर विदेशों की निर्भरता कम करना है.

By Anjani Kumar Singh | July 15, 2025 5:21 PM
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Defense: अब युद्ध परंपरागत तरीके की बजाय तकनीक के जरिए लड़े जा रहे हैं. आधुनिक युद्ध में मानव रहित हवाई वाहन(यूएवी) मानव रहित हवाई प्रणाली(सी-यूएएस) का महत्व काफी बढ़ गया है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में भी ड्रोन और हवाई रक्षा प्रणाली का अहम योगदान रहा. समय में साथ बदलती तकनीक के साथ इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. 

अधिकांश देश रक्षा तैयारियों के लिए ड्रोन के महत्व पर जोर दे रहे हैं. इस कड़ी में एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय (मुख्यालय आईडीएस), संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) के सहयोग से रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने को लेकर यूएवी और सी-यूएएस क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों से आयातित महत्वपूर्ण उपकरणों के स्वदेशीकरण पर एक कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन बुधवार से शुरू करने जा रहा है. 

यह आयोजन हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद किया जा रहा है. भारत-पाक तनाव के दौरान मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) और मानवरहित हवाई प्रणालियों (सी-यूएएस) के सामरिक महत्व व परिचालन और प्रभावशीलता के महत्व का पता चला. दोनों देशों की ओर से ड्रोन का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया गया. साथ ही इस दौरान हवाई रक्षा प्रणाली के महत्व का भी पता चला. इन प्रणालियों के जरिये सटीक निशाना लगाने और मानव जोखिम कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही देश की स्वदेशी रक्षा तकनीक की सटीकता, विश्वसनीयता का भी पता चला. 


स्वदेशी तकनीक और और आधुनिक बनाने की पहल

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार की कोशिश यूएवी और सी-यूएएस उपकरणों पर विदेशों की निर्भरता कम करना है. रक्षा मंत्रालय की ओर से इसके लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. सेना के ड्रोन में स्वदेशी तकनीक के उपयोग को प्राथमिकता दी जा रही है. हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने ड्रोन के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है. रक्षा क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप को भी स्वदेशी निर्मित उपकरण लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता संकट के समय देश के लिए परेशानी पैदा कर सकती है. इस खतरे को देखते हुए कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. 


इसका मकसद रक्षा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, सैन्य प्रमुखों, वैज्ञानिकों और निजी उद्योग सहित सभी संबंधित हितधारकों को एक साथ एक मंच पर लाते हुए स्वदेशीकरण के लिए एक रणनीतिक प्रारूप तैयार करना है. इस आयोजन से मानव रहित प्रणालियों में इनोवेशन, आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना है. इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान इस अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे.  

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