Defense: रक्षा उपकरणों के निर्यात में भारत की बन रही है अलग पहचान

पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान स्वदेशी हथियारों की सफलता के बाद कई देश भारतीय रक्षा उपकरण खरीदने के लिए इच्छुक दिख रहे हैं. युद्ध के मैदान में देश के स्वदेशी रक्षा उपकरणों की सफलता के बाद वैश्विक स्तर पर भारत निर्मित रक्षा निर्यात अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है.

By Anjani Kumar Singh | May 14, 2025 6:52 PM
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Defense: पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया. आतंकी ठिकानों को तबाह करने में भारत द्वारा निर्मित सैन्य उपकरण का अहम योगदान रहा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना को पता था कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा. ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की गयी. लेकिन स्वदेशी निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की हर चालबाजी को ध्वस्त कर दिया. पाकिस्तान ने एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए चीनी तकनीक पर अधिक भरोसा दिखाया. साथ ही चीन निर्मित लड़ाकू विमानों का प्रयोग किया. लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को चीनी तकनीक भेद पाने में विफल रही. 

यही नहीं चीन के कई आधुनिक लड़ाकू विमानों को भारतीय डिफेंस एयर सिस्टम ने समय रहते बर्बाद कर दिया. युद्ध के मैदान में देश के स्वदेशी रक्षा उपकरणों की सफलता के बाद वैश्विक स्तर पर भारत निर्मित देश का रक्षा निर्यात अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है. निर्यात के बारे में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि पिछले 10 साल में निर्यात में 34 गुना वृद्धि हुई है. वर्ष 2024-25 में भारत ने 23622 करोड़ रुपए मूल्य के रक्षा उत्पादों का निर्यात किया जो वर्ष 2013-14 में सिर्फ 686 करोड़ रुपए था.

आत्मनिर्भर एवं ‘मेक इन इंडिया है वृद्धि की वजह


रक्षा निर्यात में हुई बढ़ोत्तरी के बारे में रक्षा मंत्री का कहना है कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए. आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया कार्यक्रमों के तहत रक्षा क्षेत्र में कई योजनाओं की शुरुआत की गयी. सरकार की ओर से रक्षा उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन पैकेज शुरू किया गया ताकि वैश्विक बाजार में भारतीय रक्षा उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके. रक्षा मंत्रालय के प्रयास के कारण मेक इन इंडिया को महत्व मिला और रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने में कामयाब रहा.

सरकार के प्रयास के कारण गोला-बारूद, हथियार, सब-सिस्टम, सहित कई रक्षा उपकरण लगभग 80 देशों में निर्यात किए गए. सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे बढ़ाकर प्रतिवर्ष 50 हजार करोड़ रुपए करने की है. पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान स्वदेशी हथियारों की सफलता के बाद कई देश भारतीय रक्षा उपकरण खरीदने के लिए इच्छुक दिख रहे हैं. कई पश्चिमी विश्लेषकों ने भी भारत के स्वदेशी हथियारों की सफलता को लेकर हैरानी जाहिर की है. ऐसे में आने वाले समय में भारतीय रक्षा उपकरणों की मांग बढ़ने की संभावना है.

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