Defense: भारतीय सेना आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वदेशी हथियार और तकनीक को प्राथमिकता दे रही है. रक्षा मंत्रालय के प्रयास के कारण रक्षा उत्पादन के मामले में हाल के वर्षों में भारत की स्थिति बेहतर हुई है. पहले रक्षा उपकरणों के मामले में भारतीय सेना की निर्भरता दूसरे देशों पर काफी अधिक थी. लेकिन समय के साथ सेना को आत्मनिर्भर बनने के संकल्प का असर दिख रहा है. रक्षा मंत्रालय मेक इन इंडिया को प्राथमिकता दे रहा है. रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत का प्रदर्शन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा गया. स्वदेशी निर्मित रक्षा डिफेंस सिस्टम, ड्रोन और मिसाइल ने पाकिस्तान के साथ ही चीन और दुनिया के अन्य देशों को देश की ताकत से परिचित करा दिया. सेना, वायु सेना के अलावा नौसेना भी लगातार आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है.
आत्मनिर्भर भारत के तहत भारतीय नौसेना की ताकत में एक जुलाई 2025 को और वृद्धि हो गयी. मंगलवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट 17 ए के तहत दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस उदयगिरि नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया. प्रोजेक्ट 17 के तहत सात युद्धपोत का निर्माण किया जाना है. अब तक नौसेना को सिर्फ दो युद्धपोत ही मिल सका है और बाकी बचे पांच युद्धपोत वर्ष 2026 तक मिलने की संभावना है. यह युद्धपोत अत्याधुनिक हथियारों, सेंसर और स्टील्थ तकनीक से लैस है. इसके शामिल होने से देश की समुद्री सुरक्षा को और अधिक मजबूती मिलेगी. यह नौसेना में मौजूदा शिवालिक क्लास पनडुब्बी का अपग्रेडेड वर्जन है.
आधुनिक तकनीक से है लैस
यह युद्धपोत पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरी का आधुनिक रूप है. पूर्व में प्रयोग किया जाने वाले उदयगिरि को वर्ष 2007 में 31 वर्षों की सेवा के बाद सेवा से हटा दिया गया. नया उदयगिरी एक मल्टी-मिशन फ्रिगेट है, जो गहरे समुद्र में परिचालन (ब्लू वॉटर ऑपरेशन) के लिए डिजाइन किया गया है. यह पारंपरिक व गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है. खास बात है कि आईएनएस उदयगिरी को सिर्फ 37 महीनों में नौसेना को सेवा के लिए सौंपा गया है. निर्माण गति में एक रिकॉर्ड कायम किया है. इसमें सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, मीडियम रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, 76 मिमी गन, 30 मिमी और 12.7 मिमी की रैपिड फायर गन, डीजल इंजन और गैस टरबाइन युक्त प्रणाली मौजूद है.
साथ ही कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर और इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम भी लगाया गया है. युद्धपोत का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीक और स्वदेशी कंपनियों की ओर से किया गया है. इसमें शामिल अधिकांश हथियार और सेंसर देश में ही निर्मित किए गए है. निर्माण के दौरान 200 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम का लाभ मिला और इससे करीब चार लाख प्रत्यक्ष और 10 लाख अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.