Delhi-Haryana Singhu Border Reopened: एक साल बाद खुला ये बॉर्डर, सड़कों की रिपेयरिंग के बाद दौड़ेंगे भारी वाहन

Delhi-Haryana Singhu Border Reopened: किसान आंदोलन की वजह से जाम दिल्ली-हरियाणा का सिंघू बॉर्डर खुल गया है. हालांकि, भारी वाहनों के लिए इसे अभी नहीं खोला गया है. लेटेस्ट अपडेट्स यहां पढ़ें...

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2021 6:39 PM
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Delhi-Haryana Singhu Border Reopened: एक साल के बाद आखिरकार इस बॉर्डर को देश के आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. हालांकि, अभी भारी वाहनों को यहां से गुजरने की अनुमति नहीं दी गयी है. बताया गया है कि पहले सड़क की मरम्मत की जायेगी और उसके बाद इसे भारी वाहनों के लिए खोला जायेगा.

कृषि कानून को रद्द करने की मांग के समर्थन में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने दिल्ली की सभी सीमाओं को जाम कर दिया था. एक महीने के आंदोलन के बाद आखिरकार सरकार ने तीनों कानून वापस लिये और किसानों की मांगें मान ली.

सरकार ने किसानों की मांगों को मान लिया, तो किसानों ने भी अपना आंदोलन स्थगित करने का ऐलान कर दिया. इसके बाद किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर स्थित दिल्ली-हरियाणा सिंघू बॉर्डर को आज पूरी तरह से खाली कर दिया.

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किसानों का आंदोलन समाप्त हुआ और एक साल से सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले किसान आंदोलन खत्म कर अपने-अपने घर गये, तो छोटे वाहनों के लिए एनएच-44 को भी खोल दिया गया. हालांकि, भारी वाहनों के लिए अब भी इस राजमार्ग को नहीं खोला गया है.

सोनीपत के डीसी ललित सिवाच ने बुधवार को यह जानकारी दी है. सोनीपत के डीसी ने कहा है कि भारी वाहनों के लिए अभी भी हाईवे बंद है. डीसी ने बताया है कि इस राजमार्ग को रिपेयरिंग के बाद भारी वाहनों के लिए भी खोल दिया जायेगा.

कृषि कानूनों के विरोध में जाम हुआ था बॉर्डर

सितंबर 2020 में संसद ने तीन कृषि कानून पास किये थे. इन कानूनों के खिलाफ सबसे पहले पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ. बाद में पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों ने दिल्ली की अलग-अलग राज्यों से सटी सीमाओं पर डेरा डाल दिया.

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किसानों ने ऐलान कर दिया कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे, उनका आंदोलन जारी रहेगी. आखिरकार प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा और सरकार के बीच बातचीत शुरू हुई.

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किसानों ने अपने मुद्दे रखे. सरकार ने उनका जवाब दिया. दोनों ओर से संवाद हुआ. सरकार ने किसानों की लगभग सभी मांगों को मान लिया. इसके बाद किसान भी बॉर्डर खाली करने के लिए तैयार हो गये. 11 दिसंबर से ही बॉर्डर खाली करने की शुरुआत हो, जो अब पूरी तरह से खाली हो गया है.

Posted By: Mithilesh Jha

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