नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा दिसंबर में सत्ता में आने के बाद डीजीपी का तबादला करने और अंतरिम डीजीपी की नियुक्ति में प्रकाश सिंह मामले में कार्यकाल की समय-सीमा और वरिष्ठता के नियमों का उल्लंघन करने के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की गयी है.
सामाजिक कार्यकर्ता प्रह्लाद नारायण सिंह ने याचिका में कहा है कि डीजीपी डीके पांडे के कार्यकाल की समाप्ति को देखते हुए झारखंड सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दिये गये दिशा-निर्देश के मुताबिक नये डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया पिछले साल मार्च महीने में शुरू की.
नियुक्ति के लिये वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजा गया और कमल नयन चौबे की डीजीपी के पद पर नियुक्ति हुई. वकील संचित गर्ग के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि दिसंबर में विधानसभा चुनाव के बाद झामुमो के नेतृत्व में सरकार बनी और यह सरकार किसी कीमत पर वरिष्ठता में चौथे स्थान के अधिकारी एमवी राव को डीजीपी बनाना चाहती थी. इसीलिये बिना किसी शिकायत के चौबे का तबादला कर दिया गया.
यही नहीं कमल नयन चौबे ने भी सरकार के समक्ष तबादले की पेशकश नहीं की थी. सरकार ने 16 मार्च को आदेश जारी कर एमवी राव को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया. याचिका में अदालत से मांग की गयी है कि डीजीपी का तबादला और अंतरिम डीजीपी की नियुक्ति में शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार के फैसले को अवैध करार दिया जाये.
प्रकाश सिंह मामले में भी अंतरिम डीजीपी का कोई जिक्र नहीं है. अदालती आदेश में स्पष्ट कहा गया कि डीजीपी तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बीच से चुना जाना चाहिये, लेकिन झारखंड सरकार ने किसी आदेश का पालन नहीं किया है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra
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