क्या पीएम मोदी अपनी सैलरी से खरीदते हैं विदेशी मेहमानों के लिए गिफ्ट? जानिए पूरा सच

PM Modi Gifts To World Leaders: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की यात्रा के दौरान भेंट किए गए उपहारों में भारत की सांस्कृतिक विरासत और शिल्पकला की झलक देखने को मिली. ये उपहार विदेश मंत्रालय द्वारा तय किए जाते हैं और इनका खर्च सरकारी बजट से वहन किया जाता है. यह पहल भारत की 'गिफ्ट डिप्लोमेसी' और सॉफ्ट पावर को मजबूत करती है.

By Ayush Raj Dwivedi | July 11, 2025 7:33 AM
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PM Modi Gifts To World Leaders: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में पांच देशों घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबियाकी सफल विदेश यात्रा पूरी कर भारत लौट आए हैं. यह दौरा 2 जुलाई से 9 जुलाई 2025 तक चला। इस यात्रा के दौरान जहां कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताएं और समझौते हुए, वहीं एक बार फिर पीएम मोदी की गिफ्ट डिप्लोमेसी भी चर्चा का विषय बन गई.

भारत की कला और संस्कृति की अनूठी सौगातें


प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरे में हर राष्ट्राध्यक्ष के लिए भारतीय परंपरा, कारीगरी और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा एक विशेष उपहार साथ लेकर गए. ये उपहार न केवल सौंदर्य में अनुपम थे, बल्कि उनमें भारत के विभिन्न हिस्सों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक छाप भी दिखाई दी.

घाना के राष्ट्रपति को भेंट किया गया चांदी की जड़ाई वाला फूलदान, जो कर्नाटक के बीदर की पारंपरिक Bidri कला का प्रतीक था. वहीं उनकी पत्नी को चांदी के तारों से सजा हुआ पारंपरिक पर्स दिया गया. त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की चांदी की प्रतिकृति भेंट की गई. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति को चांदी से बनी शेर की मूर्ति दी गई, जो भारत की शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती है.

ब्राजील के राष्ट्रपति को महाराष्ट्र की पारंपरिक ‘वारली पेंटिंग’ भेंट की गई, जो आदिवासी जीवन शैली की झलक दिखाती है. नामीबिया के राष्ट्रपति को उत्तर प्रदेश की संडलवुड की नक्काशीदार मूर्ति दी गई, जो भारतीय शिल्प की उत्कृष्टता को दर्शाती है.

तोहफों का खर्च कौन उठाता है?

जब भी प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा पर जाते हैं और इस तरह के खास तोहफे साथ ले जाते हैं, तो अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या ये महंगे उपहार उनकी व्यक्तिगत सैलरी से खरीदे जाते हैं?

इसका स्पष्ट जवाब है—नहीं

प्रधानमंत्री द्वारा विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और उनके परिजनों को दिए जाने वाले ये उपहार विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल डिवीजन द्वारा तय किए जाते हैं. यही विभाग तय करता है कि किस देश के नेता को किस प्रकार का उपहार उपयुक्त होगा, जो सांस्कृतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावी हो. इन उपहारों की खरीद और व्यवस्था के लिए आवश्यक बजट भारत सरकार द्वारा निर्धारित होता है, और यह खर्च सरकारी खजाने से किया जाता है. एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के अंतर्गत यह जानकारी पहले भी सार्वजनिक हो चुकी है.

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