दिल्ली-एनसीआर भी कांपा भूकंप से
गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले, गुरुवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. भारतीय समयानुसार सुबह 09:04:50 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता 4.4 दर्ज की गई. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इसका केंद्र हरियाणा के झज्जर में था, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर मापी गई. झटकों का प्रभाव दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद और हरियाणा के कई शहरों में भी देखने को मिला.
क्यों आते हैं भूकंप?
धरती के भीतर सात टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं जो लगातार अपने स्थान पर हिलती-डुलती रहती हैं. जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं या आपस में घर्षण होता है, तो धरती की सतह पर कंपन होता है जिसे हम भूकंप कहते हैं. ये कंपन जितने तीव्र होते हैं, उनका असर भी उतना ही विनाशकारी हो सकता है.
भारत में भूकंप के संवेदनशील क्षेत्र
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत का लगभग 59% क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है. भारत को चार भूकंपीय जोन—जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5—में बांटा गया है. जोन-5 सबसे अधिक संवेदनशील होता है, जबकि जोन-2 को कम संवेदनशील माना जाता है. दिल्ली जोन-4 में आता है और यहां 7.0 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं. हिमालयी क्षेत्र, कच्छ का रण और पूर्वोत्तर भारत अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्र माने जाते हैं क्योंकि यहां भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव होता है.