गुजरात में उभरेगा नया राजनीतिक विकल्प: डीजी वंजारा
रविवार को अपने ट्वीट में पूर्व आईपीएस अफसर ने कहा था कि गुजरात में एक नया राजनीतिक विकल्प उभरने वाला है, जो दिसंबर में जीत हासिल करेगा एवं लोकतंत्र की स्थापना करेगा. उन्होंने साथ ही कहा कि मुसलमानों, ईसाईयों और यहूदियों के देशों में राजसत्ता और धर्मसत्ता सक्रिय है तो भारत में क्यों नहीं. इसका जवाब गुजरात के लोग देंगे. गुजरात नये आदर्श का पालन करेगी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक के साथ-साथ धर्म की रक्षा भी जरूरी है. इसी को ध्यान में रखते हुए हम राजनीतिक पार्टी की शुरुआत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सत्ताधारी दल के विरोध में अपनी सच्ची लोकशाही के उद्देश्य के साथ खड़ी होगी.
जानिए कौन हैं डीजी वंजारा?
गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी रहे डीजी वंजारा की छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है. डीजी वंजारा 2002-2005 तक अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के डीसीपी थे और उनकी इस पोस्टिंग के दौरान करीब 20 लोगों का एनकाउंटर हुआ. सीबीआई की जांच में पता चला कि यह सभी एनकाउंटर फर्जी थे.
वंजारा पहली बार अप्रैल 2007 में हुए थे गिरफ्तार
डीजी वंजारा को पहली बार अप्रैल 2007 में सीआईडी की टीम ने गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी के फेक एनकांउटर केस में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था. बाद में उन्हें इशरत जहां और 3 अन्य लोगों तथा तुलसीराम प्रजापति की हत्या के लिए भी आरोपी बनाया गया. वंजारा को 2007 में उनकी गिरफ्तारी के बाद साबरमती सेंट्रल जेल में रखा गया. नवंबर 2012 में सोहराबुद्दीन मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुकदमा चलाने के बाद उन्हें मुंबई की तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.
2013 में इशरत जहां मामले में सीबीआई ने वंजारा को किया था गिरफ्तार
इसके बाद, जून 2013 में सीबीआई ने इशरत जहां मामले में वंजारा को गिरफ्तार किया और उन्हें साबरमती जेल वापस लाया गया. वहीं, सितंबर 2014 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोहराबुद्दीन मामले में जमानत दी थी. फरवरी 2015 में सीबीआई की विशेष अदालत ने इशरत मामले में उन्हें जमानत दे दी. इसके बाद वंजारा जेल से बाहर आ गए. इसके बाद, 2017 में सोहराबुद्दीन शेख मामले में वंजारा को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. मई 2019 में सीबीआई अदालत ने उन्हें इशरत जहां मामले में भी बरी कर दिया था.
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