केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह के अंदर दीवारों में सोने की परत चढ़ाने का जमकर विरोध हो रहा है. मंदिर के कुछ पुजारी इसके खिलाफ खड़े हो गये हैं. उनका आरोप है कि इससे मंदिर के दीवारों को नुकसान हो रहा है. हालांकि इस मुद्दे पर पुजारी भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं.
क्या है मामला
दरअसल केदारनाथ मंदिर की दीवारों को चांदी की परत से ढका गया था, जिन्हें हटाकर उनकी जगह सोने की परत चढाई जा रही है. मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया तब शुरू की गई, जब महाराष्ट्र के एक शिव भक्त ने स्वेच्छा से इस उद्देश्य के लिए सोना देने की पेशकश की थी और उनके प्रस्ताव को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने राज्य सरकार की अनुमति से स्वीकार कर लिया था.
Also Read: रांची के इस पूजा पंडाल में चढ़नी होगी 40 फीट की सीढ़ी, तब भक्त दर्शन कर सकेंगे केदारनाथ मंदिर के
क्यों हो रहा सोने की परत चढ़ाये का विरोध
केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह के अंदर दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध पुजारियों का एक वर्ग कर रहा है. उनका मानना है कि यह इसकी सदियों पुरानी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ है. तीर्थ पुरोहितों ने सोना चढ़ाने का विरोध करते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के इस्तेमाल से मंदिर की दीवारों को नुकसान हो रहा है. केदारनाथ में संतोष त्रिवेदी नाम के पुजारी ने कहा, सोने की परत चढ़ाने से मंदिर की दीवारों को नुकसान पहुंचा रहा है. इसके लिए बड़ी ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. हम मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ इस छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकते.
सोने की परत चढ़ाये जाने पर पुजारियों में आपसी मतभेद
मंदिर के गर्भगृह की दीवारों में सोने की परत चढ़ाये जाने के मामले में पुजारी बंटे हुए हैं, क्योंकि कुछ वरिष्ठ पुजारी मंदिर के गर्भगृह के अंदर वर्तमान में जारी जीर्णोद्धार कार्य के पक्ष में हैं. मंदिर के वरिष्ठ पुजारी श्रीनिवास पोस्ती और केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा कि मंदिर सनातन आस्था का एक प्रमुख केंद्र है और इसकी दीवारों पर सोना चढ़ाना हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है. बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध जायज नहीं है, क्योंकि यह मूल ढांचे से छेड़छाड़ किए बिना परंपराओं के अनुसार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा है. कुछ गिने चुने पुजारी इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि निकायों ने कभी इसका विरोध नहीं किया. दशकों पहले मंदिर की छत घास और लकड़ियों से बनाई जाती थी. जैसे-जैसे समय बदलता गया पत्थरों से और फिर तांबे की चादरों से इसका निर्माण हुआ. बीकेटीसी अध्यक्ष ने विरोध को विपक्षी दुष्प्रचार का हिस्सा करार दिया. अजय ने कहा, पूरे देश में हिंदू मंदिर भव्यता के प्रतीक हैं. हिंदू देवी-देवताओं को सोने और आभूषण से सजाना हमारी परंपराओं का हिस्सा रहा है.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी