क्या है पूरा मामला?
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर 2022 से नवंबर 2024 तक देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश रहे. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने तत्कालीन सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को 18 दिसंबर 2024 को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि वे 30 अप्रैल 2025 तक 5-कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में रहना चाहते हैं. उनका कहना था कि तुगलक रोड स्थित जो बंगला (14 नंबर) उन्हें आवंटित हुआ है, उसमें मरम्मत (रेनोवेशन) का काम जारी है, इसलिए वे अस्थायी रूप से पुराने बंगले में रहना चाहते हैं.
इस पर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने उन्हें दिसंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक महज 5000 रुपये मासिक किराए पर वहां रहने की इजाजत दी थी, लेकिन स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि 30 अप्रैल के बाद यह अनुमति आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. अब जब जुलाई चल रहा है और वे अभी तक पुराने बंगले में ही रह रहे हैं, तो यह मामला विवाद में आ गया है.
पूर्व सीजेआई को रिटायरमेंट के बाद क्या सुविधाएं मिलती हैं?
भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश को निम्नलिखित सुविधाएं मिलती हैं:
- आवास: रिटायरमेंट के बाद पूर्व सीजेआई को अधिकतम छह महीने तक बिना किराए के टाइप VII सरकारी बंगला मिल सकता है.
- सुरक्षा: अगले पांच साल तक प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड और एक साल तक 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है.
- पेंशन: पूर्व सीजेआई को हर महीने करीब 70,000 रुपये पेंशन मिलती है.
- अन्य सुविधाएं: जीवनभर के लिए एक ड्राइवर और एक नौकर की सुविधा दी जाती है.
- सचिवालय की सहायता: सेवानिवृत्ति के बाद एक वर्ष तक सचिवालय से प्रशासनिक सहायता दी जाती है.
क्यों बढ़ा विवाद?
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को भेजे गए पत्र में कहा है कि जब निर्धारित अवधि समाप्त हो चुकी है, तो पूर्व सीजेआई को उनके नए आवंटित बंगले में स्थानांतरित कराना जरूरी है. हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ का पक्ष है कि नया बंगला अभी पूरी तरह तैयार नहीं है, और जैसे ही रेनोवेशन पूरा होगा, वे उसमें शिफ्ट हो जाएंगे.