पुलिस ने की थी भारी बैरिकेडिंग
इधर, केंद्रीय प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई उस समय की जब किसान नेता चंडीगढ़ से मोहाली में दाखिल हुए. किसानों को उनके गंतव्य की ओर जाने से रोकने के लिए मोहाली में भारी बैरिकेडिंग पुलिस ने की थी. किसान नेता मंगत ने कहा कि पंधेर और डल्लेवाल के अलावा अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटरा और मंजीत सिंह राय को हिरासत में लिया गया है. शंभू और खनौरी सीमा पर भी भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. विभिन्न जिलों से पुलिसकर्मियों को शंभू और खनौरी सीमा चौकियों के पास तैनात किया गया है. यहां संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा पिछले साल फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं.
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केंद्र और किसान नेताओं ने की बैठक
इससे पहले किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा के लिए चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच नये दौर की बैठक हुई. तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा “वार्ता जारी रहेगी और अगली बैठक चार मई को होगी. बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. चर्चा सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से हुई. किसानों से बातचीत जारी रहेगी.” किसानों और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच पिछली बैठक 22 फरवरी को हुई थी.
4 मई को होगी अगली मीटिंग
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल समेत पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्यिां ने भी बैठक में हिस्सा लिया था. बातचीत से पहले किसान नेता पंधेर ने कहा था कि किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके समस्या का समाधान करेगी. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था “हम सकारात्मक सोच के साथ बैठक के लिए यहां आए हैं. बैठक में कुछ निर्णय होना चाहिए. हमें उम्मीद है कि एमएसपी गारंटी कानून पर गतिरोध समाप्त होगा और बातचीत आगे बढ़ेगी.”
क्या है किसानों की मांग
प्रदर्शनकारी किसान साल 13 फरवरी 2024 से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने, उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग पर अड़े हुए हैं.