Free Trade Agreement : भारत और यूनाइटेड किंगडम ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (Free Trade Agreement UK-India) पर हस्ताक्षर किए. इससे हर साल द्विपक्षीय व्यापार में करीब 34 अरब डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है. यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान संपन्न हुआ. भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की ओर से व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई देगा.
चॉकलेट, कारों के अलावा और क्या हो सकते हैं सस्ते
भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत अब भारतीय बाजार में बहुत सी चीजें सस्ती आपको मिल सकतीं हैं. ब्रिटेन से आने वाले सामान जैसे मेडिकल डिवाइसेज, एयरोस्पेस पार्ट्स, कारें, व्हिस्की, चॉकलेट और कॉस्मेटिक्स अब भारतीय बाजार में काफी सस्ते मिलेंगे. इन पर लगने वाला औसत शुल्क 15% से घटाकर लगभग 3% कर दिया गया है. इससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी उत्पाद कम दामों में मिल सकेंगे. जानकार इस समझौते को एक परिवर्तनकारी कदम बता रहे हैं, जो भारत और ब्रिटेन के बीच लगभग सभी व्यापार को खोल देगा.
लेदर उद्योग को भी है खासी उम्मीद
लेदर उद्योग को उम्मीद है कि वह अगले दो वर्षों में यूके बाजार का अतिरिक्त 5% हिस्सा हासिल कर लेगा. इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 2030 तक दोगुना हो सकता है, जबकि रासायनिक उत्पादों का निर्यात अगले वित्तीय वर्ष में 40% तक बढ़ने की संभावना है. समझौता लागू होने के बाद सॉफ्टवेयर सेवाओं में सालाना 20% वृद्धि की उम्मीद है. भारतीय पेशेवरों को भी यूके में काम करने के लिए आसान पहुंच का लाभ मिलेगा. इस समझौते के तहत 35 क्षेत्रों में भारतीय प्रतिभाओं को बिना स्थानीय ऑफिस की मौजूदगी के दो वर्षों तक काम करने की अनुमति दी गई है. यह सेवा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खोलेगा और दोनों देशों के बीच कौशल सहयोग को बढ़ावा देगा.
इन लोगों को भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का मिलेगा लाभ
फ्रीलांसर, शेफ, संगीतकार, योग प्रशिक्षक और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले पेशेवर अब नए अवसरों का लाभ उठा सकेंगे. उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि हर साल 60,000 से अधिक आईटी पेशेवर, खासकर TCS, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, HCL टेक्नोलॉजीज और विप्रो जैसी प्रमुख कंपनियों में कार्यरत कर्मचारी, इस समझौते से फायदा उठा सकते हैं.
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इस समझौते का एक अहम हिस्सा वह प्रावधान है, जिसके तहत कम समय के असाइनमेंट पर यूके जाने वाले भारतीय पेशेवरों को तीन साल तक यूके की सोशल सिक्योरिटी में योगदान नहीं देना होगा.