Hunger Free World: देश को सामाजिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए भुखमरी और कुपोषण को करना होगा दूर
अगर भारत से भुखमरी को हटाना है तो माताओं को सशक्त बनाना होगा. क्योंकि कमजोर मां के कारण देश में कमजोर बच्चे पैदा हो रहे हैं. यह भारत के लिए चिंता की बात है. भारत खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर है. कई खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं, चावल, फल, सब्जी और अन्य खाद्य उत्पाद को दूसरे देशों में भेजा जाता है. खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद देश में भुखमरी और कुपोषण एक बड़ी समस्या है.
By Vinay Tiwari | May 28, 2025 3:44 PM
Hunger Free World: स्वास्थ्य, शिक्षा, भूख एवं गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और वंचितों के लिए आवास मुहैया कराने के लिए कई कंपनी कॉरपोरेट रिस्पांसिबिलिटी फंड(सीएसआर) के तहत फंड मुहैया कराती है. इस काम में भारत के अग्रणी व्यापारिक समूह एवं मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स की मूल कंपनी मालाबार समूह ने 2025-26 में सीएसआर पहल के तहत 150 करोड़ रुपये आवंटित किया है. यह कंपनी सीएसआर पहल ‘हंगर फ्री वर्ल्ड’ के तहत भारत और जाम्बिया में वंचितों को प्रतिदिन 70 हजार भोजन वितरित करने की प्रतिबद्धता जतायी है. वर्ष 2025-26 में में कुल 2.50 करोड़ भोजन बांटे जाएंगे. यह पिछले 3 सालों में बांटे गए 2.5 करोड़ भोजन के आंकड़ों से अधिक है. संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2- जीरो हंगर के अनुसार है. इस मौके पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ एवं जी-20 शेरपा डॉक्टर अमिताभ कांत ने कहा कि हर साल 28 मई को ही वर्ल्ड हंगर डे मनाया जाता है.
उन्होंने कहा कि अगर भारत से भुखमरी को हटाना है तो माताओं को सशक्त बनाना होगा. क्योंकि कमजोर मां के कारण देश में कमजोर बच्चे पैदा हाे रहे हैं. यह भारत के लिए चिंता की बात है. भारत खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर है. कई खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं, चावल, फल, सब्जी और अन्य खाद्य उत्पाद को दूसरे देशों में भेजा जाता है. खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद देश में भुखमरी और कुपोषण एक बड़ी समस्या है. देश तेज गति से आर्थिक विकास कर रही है और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश का हर नागरिक गुणवत्ता पूर्ण जीवन जी सके. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के गर्भवती होने से बच्चा पैदा होने तक उचित देखभाल की व्यवस्था होनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर बच्चे का जन्म अस्पताल में हो.
बच्चों के उचित देखभाल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वह कुपोषण से दूर रहे. इस कार्यक्रम में मालाबार समूह के चेयरमैन एमपी अहमद, मालाबार समूह के वाइस चेयरमैन केपी अब्दुल सलाम और मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के भारतीय परिचालन के मैनेजिंग डायरेक्टर ओ अशर मौजूद रहे.
समाज का विकास भारतीय संस्कृति का हिस्सा
इस मौके पर मालाबार समूह के चेयरमैन एमपी अहमद ने कहा कि सीएसआर हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और हम समाज को वापस देने में विश्वास करते हैं. हर साल 28 मई को वार्षिक सीएसआर दिवस के रूप मनाते हैं. हमारी कोशिश प्रभावशाली कदमों के जरिये वंचितों के साथ खड़े होने की रही है. सीएसआर पहल उस स्थायी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब हैं. अगर अन्य संगठन इस मिशन में शामिल हों तो इसका दायरा और प्रभाव और व्यापक होगा. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 29.5 करोड़ लोग ‘अक्यूट हंगर'(गंभीर भुखमरी) से जूझ रहे हैं, इसलिए तत्काल कदम उठाना जरूरी है. यही जरूरत हमारी भोजन बांटने की पहल के लिए प्रेरणा का काम करती है. भोजन वितरण के अलावा उत्पादन को बढ़ावा देने, रोजगार का सृजन करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि स्थायी बदलाव लाया जा सके.
उन्होंने कहा कि हंगर फ्री वर्ल्ड परियोजना के तहत अभी भारत और जाम्बिया में हर रोज 70 हजार भोजन के पैकेट बांटे जाते हैं. भारत में 20 राज्यों में फैले 167 केंद्रों के माध्यम से हर रोज 60 हजार से अधिक भोजन बांटे जाते हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. जाम्बिया में समूह जाम्बिया सरकार के साथ सहयोग करके तीन स्कूलों में 10 हजार छात्रों को प्रतिदिन भोजन मुहैया करा रहा है. हंगर फ्री वर्ल्ड परियोजना आधुनिक सुविधाओं से लैस अत्याधुनिक रसोईघरों से संचालित होती है, जहां प्रशिक्षित रसोइया और स्वच्छता के प्रति जागरूक कर्मचारी काम करते हैं.
शिक्षा और सामाजिक विकास में कर रहा है मदद
मालाबार समूह ने अपनी शैक्षिक और सामाजिक कल्याण पहल के तहत देश में 716 माइक्रो-लर्निंग केंद्र स्थापित किए हैं, जो बेसहारा बच्चों को प्राथमिक शिक्षा और पोषण प्रदान करते हैं. इनमें 32 हजार से अधिक बच्चों का नामांकन हुआ है, जिनमें से 9 हजार बच्चों को पहले ही औपचारिक स्कूलों के साथ जोड़ा जा चुका है. यह परियोजना थनल के सहयोग से चल रही है. इसके अलावा, 1.14 लाख लड़कियों को उनकी शिक्षा का समर्थन करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की गई है. समूह ने ‘ग्रैंडमा होम्स’ नामक एक पहल भी शुरू की है, जिसके तहत बेसहारा महिलाओं के लिए मुफ्त आवास और देखभाल प्रदान करने के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं. अभी बेंगलुरु, केरल और हैदराबाद में इनका संचालन हो रहा है. इस पहल का चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में विस्तार करने की योजना है.
समूह ने स्वास्थ्य एवं आपदा राहत के क्षेत्र में केरल के 140 स्थानों पर गैर-लाभकारी चिकित्सा स्टोर स्थापित करने की योजना बनाई है, जो रियायती दरों पर दवाएं प्रदान करेंगे. राज्य के 27 स्थानों पर पहले से ही ऐसे स्टोर चल रहे हैं. समूह ने ‘उयिरप्पु परियोजना’ भी शुरू की है, जो पिछले साल वायनाड में आए भूस्खलन से प्रभावित बच्चों को उच्च शिक्षा में मदद करती है. इसके तहत 134 छात्रों को वित्तीय सहायता दी जा रही है. मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स अपनी स्थापना के बाद से ही अपने मुनाफे का 5 फीसदी हिस्सा सामाजिक कल्याण के लिए आवंटित कर रहा है.