Illegal Immigrants: मौत का डंकी रूट! जान-माल खर्च कर सिर पर कफन बांध विदेश क्यों जाते हैं भारतीय?

Illegal Immigrants: 104 भारतीयों के अमेरिकी निर्वासन का मुद्दा इस समय गरमाया हुआ है. विपक्षी नेता सड़क से लेकर संसद तक विरोध कर रहे हैं, तो दूसरी ओर से केंद्र की मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर बयान दिया है और बताया, निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है और कई वर्षों से चल रही है. हम आज यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिरी बिना वीजा के जोखिम भरे डंकी रूट से भारतीय क्यों विदेश पहुंचते हैं.

By ArbindKumar Mishra | February 7, 2025 12:04 AM
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Illegal Immigrants: अमेरिका ने अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीयों को देश से निकाल दिया है. सेना के विमान से उन्हें भारत की धरती पर छोड़ा गया. लेकिन उनके साथ जो व्यवहार किया गया, उसकी अलग-अलग कहानी सामने आ रही है. लोगों के हाथ हथकड़ी से बंधे थे और पैर जंजीर से जकड़े थे. तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद बवाल जारी है. अमेरिका से लौटे युवाओं ने बताया कि कैसे डंकी रूट की मदद से वो बिना वीजा के अमेरिका गए. उन्हें अमेरिका जाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े. यही नहीं यात्रा के दौरान उन्हें मौत का भी सामना करना पड़ा. तो आखिर डंकी रूट क्या है और उसके लिए करोडों रुपये क्यों खर्च करते हैं लोग?

क्या है डंकी रूट

डंकी रूट कई देशों से होकर जाता है. लोग इसे अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश जाने के लिए चुनते हैं. इस रूट को वैसे लोग चुनते हैं, जिनके पास दस्तावेज नहीं होते हैं. वो अवैध रूप से विदेश जाते हैं. लेकिन यह रूट आसान नहीं है. कई बार इससे जाने वाले लोगों को मौत का भी सामना करना पड़ता है. उन्हें कई तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती है. कई देशों से जब लोग अवैध रूप से गुजरते हैं, तो सीमा पर तैनात सेना के जवान घुसपैठ के आरोप में गोली भी मार देते हैं. कई बार भीषण जंगलों और नदियों को पार करते समय उन्हें जान गंवानी पड़ती है. कई बार लोग भूख से भी मर जाते हैं.

विदेश जाने के लिए करोड़ों रुपये हो जाते हैं खर्च, कई रैकेट सक्रिय

डंकी रूट से विदेश जाने के लिए लोग करोड़ों खर्च कर देते हैं. भारतीयों को विदेश ले जाने के लिए कई रैकेट सक्रिय हैं. जो विदेश ले जाने के नाम पर करोड़ों रुपये लेते हैं. फिर मेक्सिको, पनामा के जंगलों और कनाडा के रास्ते भारतीयों को अमेरिका पहुंचाते हैं.

निर्वासित भारतीयों के परिजनों ने ‘डंकी’ मार्गों की भयावह दास्तां सुनाई

हरियाणा, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के युवा अमेरिका से निकाले जाने के बाद चेहरे पर मायूसी और टूटे सपनों के साथ अपने-अपने घर लौट आए हैं. ये वही युवा हैं जिनके पिताओं ने अपने बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए अपनी जमीनें बेच दी थीं तो मांओं ने अपने गहनों की बलि दी थी. अमेरिका से निकाले गए रॉबिन हांडा के पिता मंजीत सिंह अपने बेटे की दर्द भरी दास्तां को बयां करते हुए कहते हैं कि उनका बेटा गुयाना, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, इक्वाडोर और ग्वाटेमाला से गुजरता हुआ, समुद्र पार करता हुआ और जंगलों से होते हुए कई दिनों तक भूखा रहकर मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक पहुंचा था. इसके लिए उसने विभिन्न लोगों को 45 लाख रुपये का भुगतान कर चुका था. रॉबिन को मेक्सिको में ‘आव्रजन माफिया’ को सौंप दिया गया और उन्होंने पैसे के लिए उसे प्रताड़ित किया. एक अन्य युवा खुशप्रीत सिंह ने बताया, अमेरिका पहुंचने के लिए उसने 40 लाख रुपये खर्च किए. उनके पिता जसवंत सिंह ने अपनी खेती की जमीन गिरवी रखकर पैसे का इंतजाम किया था.

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अमेरिका या अन्य देश पहुंचने के बाद भी मंडराता रहता है खतरा

डंकी रूट ये अवैध रूप से अमेरिका सहित अन्य देश पहुंचने के बाद भी लोगों को हर पल डर के साये में गुजारना पड़ता है. उन्हें हमेशा पकड़े जाने का डर रहता है, क्योंकि उनके पास वीजा या वैध दस्तावेज नहीं होता है. किसी तरह विदेश पहुंच तो जाते हैं, लेकिन उन्हें वैसी जगह नौकरी करनी पड़ती है, जहां उन्हें पुलिस का खतरा कम होता है. लेकिन कई बार उन्हें पकड़ लिया जाता है और लंबे समय तक डिटेंशन में रहना पड़ता है. कोर्ट में पेश भी किया जाता है, जिसके बाद उनके निर्वासन पर फैसला लिया जाता है.

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