भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु बम (India Pak Nuclear Power)
भारत ने 1974 में “स्माइलिंग बुद्धा” नाम से पहला परमाणु परीक्षण किया, जबकि पाकिस्तान ने 1998 में अपने न्यूक्लियर हथियारों की ताकत दुनिया को दिखाई. दोनों देशों के पास बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम और परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता है लेकिन इसका इस्तेमाल करना इतना आसान नहीं होता.
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परमाणु हमले से पहले कई शर्तें (Operation Sindoor on POK)
परमाणु हमला कोई साधारण फैसला नहीं होता. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों, कूटनीति और सैन्य प्रक्रिया का पालन जरूरी होता है. भारत की “No First Use” यानी पहले हमला न करने की नीति है. इसका मतलब है कि भारत तब तक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा जब तक उस पर न्यूक्लियर अटैक न हो. पाकिस्तान की नीति अलग मानी जाती है लेकिन फिर भी कोई देश बिना वैश्विक दबाव और आंतरिक प्रक्रिया के परमाणु बटन नहीं दबाता. दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों को लेकर नियंत्रण और लॉन्च की प्रक्रिया कई सुरक्षा परतें हैं.
अंतरराष्ट्रीय दबाव और परिणाम (India Pak Nuclear Power)
अगर कोई देश परमाणु हमला करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों, सैन्य जवाबी हमले और वैश्विक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, परमाणु हथियारों की मौजूदगी के बावजूद, इनका इस्तेमाल आखिरी विकल्प माना जाता है.
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