POK छोड़ो वरना गंभीर परिणाम होंगे.. भारत ने पाकिस्तान को दी चेतावनी, फिर वहां से आया ये जवाब…

भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) और गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान द्वारा दखल बढ़ाने का विरोध किया है. भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान पर कब्जा करने की अपनी मंशा को नहीं छोड़ेगी तो इसका परिणाम घातक होगा. साथ ही भारत ने पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र में चुनाव कराने की भी कड़ी निन्दा की है.

By AvinishKumar Mishra | May 4, 2020 8:57 PM
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नयी दिल्ली : भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान द्वारा दखल बढ़ाने का विरोध किया है. भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान पर कब्जा करने की अपनी मंशा को नहीं छोड़ेगी तो इसका परिणाम घातक होगा. साथ ही भारत ने पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र में चुनाव कराने की भी कड़ी निन्दा की है. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत की मांग को गैरकानूनी बताते हुए वहां की सुप्रीम कोर्ट के गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के फैसले को सही बताया है.

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हाल के अपने आदेश में 2018 के गवर्नमेंट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान ऑर्डर में संशोधन की इजाजत दे दी ताकि क्षेत्र में आम चुनाव कराए जा सकें.

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एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक को आपत्ति पत्र जारी किया और तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.’ बयान में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश पूरा जम्मू- कश्मीर और लद्दाख जिसमें गिलगित और बाल्टिस्तान भी शामिल हैं, वह पूरी तरह से कानूनी और अपरिवर्तनीय विलय के तहत भारत का अभिन्न अंग हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार या उसकी न्यायपालिका को उन क्षेत्रों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं हैं जो उसने अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए हुए हैं. बयान में कहा गया है कि भारत इस तरह के कदमों को पूरी तरह से खारिज करता है और भारतीय जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों की स्थिति में बदलाव लाने के जारी प्रयासों पर आपत्ति जताता है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के हालिया कदम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों पर उसके अवैध कब्जे को छुपा नहीं सकते हैं और न ही इस पर पर्दा डाल सकते हैं कि पिछले सात दशकों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, शोषण किया गया और उन्हें स्वतंत्रता से वंचित रखा गया.धन की इजाजत दे दी ताकि क्षेत्र में आम चुनाव कराए जा सकें.

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