Muslim Population: भारत किस साल में बनेगा सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या वाला देश? रिपोर्ट में खुलासा

Muslim Population: आइए जानते हैं भारत किस साल सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला देश बन जाएगा?

By Aman Kumar Pandey | March 22, 2025 8:56 AM
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Muslim Population: पीयू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2050 तक भारत दुनिया का ऐसा देश बन जाएगा जहां सबसे अधिक हिंदू और मुस्लिम आबादी होगी. भारत पहले से ही दुनिया में हिंदुओं का सबसे बड़ा केंद्र है और यह प्रवृत्ति 2050 तक भी जारी रहने की उम्मीद है. वहीं, मुस्लिम आबादी में भी तेजी से वृद्धि होगी, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा.

मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से वृद्धि

रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 में भारत में वैश्विक हिंदू जनसंख्या का 94% हिस्सा मौजूद था और 2050 तक यह आंकड़ा 1.3 अरब तक पहुंचने का अनुमान है. दूसरी ओर, भारत में मुस्लिम आबादी भी तेजी से बढ़ेगी. 2050 तक भारतीय मुसलमानों की संख्या 311 मिलियन (31.1 करोड़) तक पहुंचने की संभावना है, जो वैश्विक मुस्लिम जनसंख्या का लगभग 11% होगी. इस वृद्धि के साथ भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़कर सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा.

क्यों बढ़ रही है मुस्लिम आबादी?

रिपोर्ट में इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण मुसलमानों की औसत आयु और उच्च प्रजनन दर को बताया गया है. 2010 में भारतीय मुसलमानों की औसत आयु 22 वर्ष थी, जबकि हिंदुओं की औसत आयु 26 वर्ष और ईसाइयों की 28 वर्ष थी. इसके अलावा, मुस्लिम महिलाओं में प्रजनन दर भी अधिक है. प्रति मुस्लिम महिला औसतन 3.2 बच्चे होते हैं, जबकि हिंदू महिलाओं में यह आंकड़ा 2.5 और ईसाई महिलाओं में 2.3 है.

भारत में बहुधार्मिक और सांस्कृतिक विविधता बनी रहेगी

हालांकि मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक है, फिर भी 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी भारतीय जनसंख्या का लगभग 76.7% बनी रहेगी. दिलचस्प बात यह है कि 2050 में भारत में हिंदुओं की संख्या दुनिया के पांच सबसे बड़े मुस्लिम देशों (भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश) की कुल मुस्लिम आबादी से भी अधिक होगी.

ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति

भारत में ईसाई और अन्य छोटे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की उपस्थिति बनी रहेगी. 2010 में, भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 2.5% ईसाई थे, लेकिन 2050 तक यह घटकर 2.2% तक आ सकती है. हालांकि, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता भविष्य में भी बनी रहेगी, जिससे देश की बहुलतावादी पहचान बरकरार रहेगी.

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