Indian Army: एक तरफ शहीद भाई की अर्थी, दूसरी ओर बहन की डोली
Indian Army: वीरता और वेदना का ऐसा संगम कम ही देखने को मिलता है. राजस्थान के फलोदी के एक छोटे से गांव में उस दिन इतिहास लिखा गया, जब देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाला एक बेटा तिरंगे में लिपटकर लौटा... और उसी दिन उसी घर से एक बहन की डोली भी उठी.
By Aman Kumar Pandey | April 17, 2025 1:48 PM
Indian Army: राजस्थान के फलोदी क्षेत्र में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं और दिल गर्व से भर दिया. यह दृश्य था अद्वितीय वीरता और असहनीय वेदना का, जहाँ एक ओर देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर सिपाही रामचंद्र गोरछिया की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटकर गांव लौटी, वहीं उसी दिन उनके ही घर से उनकी चचेरी बहन की शादी भी संपन्न होनी थी. एक ही आंगन से एक ओर भाई की अर्थी उठी तो दूसरी ओर बहन की डोली, जिसने पूरे गांव को गहरी भावनात्मक स्थिति में डाल दिया.
25 वर्षीय रामचंद्र भारतीय सेना की 125 टेरिटोरियल आर्मी में कार्यरत थे और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे. देश की सेवा करते हुए वे सोमवार को वीरगति को प्राप्त हो गए. बुधवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव श्रीकृष्णनगर धर्मांदा टांका पहुंचा, जहां हर कोई नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्र हुआ था.
उनके पिता गोपीराम गोरछिया ने बताया कि रामचंद्र ने वादा किया था कि वह अपनी बहन की शादी में जरूर आएंगे. लेकिन किसे पता था कि वह तिरंगे में लिपटे हुए इस तरह आएंगे. इस दुःखद घटना के कारण शादी की रस्में अब लड़की के ननिहाल में संपन्न की जाएंगी, ताकि घर पर शहीद की अंतिम यात्रा शांतिपूर्वक पूरी की जा सके.
गांव में गमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ फलोदी-नागौर हाईवे के पास स्थित उनकी पैतृक भूमि पर किया गया. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि मां भारती की सेवा में रामचंद्र जी ने जो बलिदान दिया है, वह अविस्मरणीय है. प्रभु उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें.
कर्तव्य पथ पर माँ भारती की सेवा करते हुए जम्मू कश्मीर में वीरगति को प्राप्त फलोदी जिले के श्रीकृष्णनगर धर्मांदा टांका निवासी भारतीय सेना के वीर जवान श्री रामचन्द्र गोरछिया जी की शहादत का समाचार सुनकर मन अत्यंत दुखी है।
प्रभु श्री राम शहीद जवान की पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों…
यह दिन फलोदी के लिए दो विरोधाभासी भावनाओं का प्रतीक बन गया—एक ओर शहादत पर गर्व, दूसरी ओर परिवार के आंगन में पसरा ग़म. एक मां ने अपने बेटे को देश पर न्योछावर कर दिया, और एक बहन ने भाई के वियोग में आंखें नम करते हुए ससुराल की डोली में कदम रखा.