2014 में बुक की गई थी खाद की खेप
बस्ती के एक व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने इंडियन पोटाश लिमिटेड से 14 लाख रुपये की कीमत की 1316 बोरी खाद मंगवाई थी, जिसे 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी के जरिये विशाखापत्तनम से रवाना किया गया. ट्रेन को दो दिन में बस्ती पहुंचना था, लेकिन वह वर्षों तक लापता रही.
शिकायत के बाद शुरू हुई खोज
जब महीनों तक खाद नहीं पहुंची, तब व्यापारी ने रेलवे में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद शुरू हुई जांच में यह पता चला कि ट्रेन अपने तय रूट से भटक गई थी और रेलवे यार्ड में खड़ी कर दी गई थी, जहां उसे भुला दिया गया.
25 जुलाई 2018 को पहुंची मंज़िल
लगभग चार साल बाद, यानी 25 जुलाई 2018 को यह मालगाड़ी आखिरकार बस्ती स्टेशन पहुंची, लेकिन तब तक सारी खाद खराब हो चुकी थी और व्यापारी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. यह मामला एक बार फिर से रेलवे के कामकाज और निगरानी तंत्र पर सवाल खड़ा करता है. हालांकि रेलवे की ओर से कोई स्पष्ट मुआवजा या जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन यह घटना अब मिसाल बन गई है कि भारतीय रेल की “देरी” कितनी वक्त की मार बन सकती है.
यह भी पढ़ें.. Petrol-Diesel in Delhi : पेट्रोल पंप में नहीं मिल रहा पेट्रोल–डीजल, काटा जा रहा है चालान
यह भी पढ़ें.. सिर्फ ₹200 में ₹75,000 का बीमा! जानिए क्या है LIC की आम आदमी बीमा योजना
यह भी पढ़ें.. ऑटोमैटिक मिलेगा लोअर बर्थ, जानें किसे और कैसे देगा रेलवे