मिशन के तहत एकत्रित डेटा निशुल्क और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाया जाएगा
आपको बता दें कि यह पहली बार होगा जब NASA और ISRO संयुक्त रूप से एक ऐसा उपग्रह अंतरिक्ष में भेज रहे हैं जो पूरी धरती पर नजर बनाए रखेगा. अमेरिका के चैपमैन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रमेश सिंह और बीएचयू के भूभौतिकी विभाग के डॉ. अश्वनी राजू इस मिशन के सदस्यों की सूची में शामिल हैं. राजू ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस मिशन के तहत एकत्रित डेटा सभी के लिए निशुल्क और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाया जाएगा.
सूर्य-समकालिक ऑर्बिट क्या है?
सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा होती है जिसमें उपग्रह जब भी पृथ्वी के किसी खास इलाके से गुजरता है, तो हर बार वहां सूरज की रोशनी की दिशा और स्थिति लगभग एक जैसी रहती है. इस कक्षा से सैटेलाइट को लगातार समान रोशनी में एक जैसे फोटो और डेटा लेने में मदद मिलती है.
इस मिशन के लिए नासा ने एल-बैंड तकनीक और इसरो ने एस-बैंड तकनीक का संयुक्त इस्तेमाल किया जा रहा है. ये दोनों मिलकर निसार सैटेलाइट को बेहद ताकतवर बनाते हैं, जिससे यह बड़ी मात्रा में सटीक डेटा इकट्ठा कर सकेगा. इसरो द्वारा साझा जानकारी के मुताबिक यह उपग्रह 12 दिनों तक पूरे पृथ्वी को स्कैन करेगा. यह दिन-रात, प्रत्येक मौसम में उच्च रिज़ॉल्यूशन वाला डेटा देने की क्षमता रखता है. यह उपग्रह इतना ताकतवर है कि इसकी मदद से पृथ्वी की सतह पर होने वाली छोटी से छोटी गतिविधि की पहचान करना संभव है. GSLV-F16 रॉकेट इस उपग्रह को 743 किलोमीटर ऊंचे सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इसका झुकाव 98.40 डिग्री होगा. धरती की निगरानी रखने वाला यह पहला उपग्रह है.
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