लिंगायत समुदाय का बेलगावी में शक्ति प्रदर्शन, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात

आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुदालसंगम पंचमसाली पीठ के संत बसव जया मृत्युंजय स्वामी ने कहा, अगर मुख्यमंत्री हमें आरक्षण देकर न्याय करते हैं, तो हम उनका सम्मान करेंगे, अगर उन्होंने फैसले में देरी की, तो हम सुवर्ण विधानसौध के सामने प्रदर्शन करेंगे.

By ArbindKumar Mishra | December 22, 2022 12:10 PM
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कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद के बीच बेलगावी में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी है. ऐसा इसलिए क्योंकि लिंगायत समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग को लेकर पंचमसाली यात्रा शुरू की है. लिंगायत समुदाय के उप वर्ग ने केंद्र सरकार से ओबीसी दर्जा दिये जाने की मांग कर रहा है. पंचमसाली समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 2ए (15 प्रतिशत) में शामिल होना चाहता है. वे वर्तमान में 3बी (5 प्रतिशत) के तहत शामिल हैं.

लिंगायत समुदाय का पंचमसाली पदयात्रा, बेलगावी में शक्ति प्रदर्शन

कुंडलसंगम पीठ के जगद्गुरु बसव जाया मृत्युंजय स्वामीजी के नेतृत्व में प्रस्तावित पंचमसाली पदयात्रा के कारण कर्नाटक के बेगलगाम में हिरेबगेवाड़ी में भारी पुलिस तैनात कर दी गयी है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि पंचमसाली पदयात्रा हिरबगेवाड़ी से सुवर्णसौधा तक मेले का रूप ले लेगी. पंचमसाली लिंगायतों ने बेलगावी में शक्ति प्रदर्शन के रूप में एक विशाल सम्मेलन का आयोजन किया है. आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुदालसंगम पंचमसाली पीठ के संत बसव जया मृत्युंजय स्वामी ने कहा, अगर मुख्यमंत्री हमें आरक्षण देकर न्याय करते हैं, तो हम उनका सम्मान करेंगे, अगर उन्होंने फैसले में देरी की, तो हम सुवर्ण विधानसौध के सामने प्रदर्शन करेंगे.

कौन हैं लिंगायत और क्या है उनकी परंपरा

लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं. दोनों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलन के दौरान हुआ. लिंगायत पहले हिंदू धर्म को ही मानते थे, लेकिन इसकी कुरीतियों को हटाने के लिए नये सप्रदाय को मानने लगे. लिंगायत समुदाय के लोग ने तो मूर्ति पूजा करते हैं और न ही वेदों में विश्वास करते हैं. लिंगायत शिव की पूजा तो नहीं करते, लेकिन इष्टलिंग के रूप में अलग तरीके से पूजा करते हैं. लिंगायत में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग है. लिंगायत समुदाय में शवों को जलाया नहीं जाता, बल्कि उसे दफनाने की परंपरा है. लिंगायत खुद को हिंदू धर्म से अलग करने की मांग करते रहे हैं.

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कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद चरम पर

कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद चरम पर है. दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है. महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां रहता है. वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं. वहीं, कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम है.

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