नयी दिल्ली : ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अचानक नहीं छोड़ी थी, इससे पहले वे पार्टी के कई नेताओं से इस संबंध में बातचीत कर सलाह लिया था. यह खुलासा पार्टी के वरिष्ठ नेता मलिकार्जुन खड़गे के एक बयान से हुआ है.
खड़गे ने कहा कि तीन दिन पहले सिंधिया जी ने मुझे फोन पर इस बात की जानकारी दी, जिसके बाद मैंने उन्हें पार्टी नहीं छोड़ने की सलाह दी. मैंने उन्हें बताया कि पार्टी एक विचार और सिद्धात से चलती है, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी.
दरअसल, कहा जा रहा है कि सिंधिया ने पार्टी छोड़ने की तैयारी तकरीबन एक महीने पहले से ही कर लिया था, जिसके बाद वे कई कांग्रेस नेताओं से इसपर सलाह लिया. हालांकि अधिकतर नेताओं ने उन्हें पार्टी में रहकर ही संघर्ष करने की सलाह दी थी.
मुद्दा सुलझाया जा सकता था– पार्ट के एक और युवा चेहरा और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर दुःख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि सिंधिया जैसे नेता को कांग्रेस ने को दिया. उनके मुद्दे को बैठकर सुलझाया जा सकता था.
सिंधिया जी कभी भी आ सकते थे– कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उस आरोप का खंडन किया, जिसमें यह कहा जा रहा था कि राहुल सिंधिया से नहीं मिले, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी. राहुल ने कहा कि सिंधिया जी एकमात्र ऐसे नेता थे, जो कभी भी मेरे घर आ सकते थे. उन्हें आने के लिए कोई अप्वाइंटमेंट नहीं लेना पड़ता.
गौरतलब है कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर उनके चचेरे भाई प्रद्योत मानिक देबवर्मा ने दावा किया था कि राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य को मिलने का समय नहीं दिया, इसलिए सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दिया.
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