भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि आंदोलनकारी किसान केंद्र में कोई सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किसान नेता आंदोलन के प्रसार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे .
पूर्व में यह कहने वाले टिकैत कि लालकिले पर धार्मिक झंडे लगाने वालों को पुलिस को गोली मार देनी चाहिए थी, आज यह कहते नजर आए कि यह कोई देशद्रोह नहीं है और युवाओं को फंसाया जा रहा है. टिकैत ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र कृषकों के मुद्दों का समाधान नहीं कर देता.
उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता परिवर्तन (केंद्र में) का हमारा कोई उद्देश्य नहीं है. सरकार को अपना काम करना चाहिए. हम कृषि कानूनों को निरस्त कराना और एमएसपी पर कानून चाहते हैं.” भारतीय किसान यूनियन के नेता ने कहा, ‘‘सरकार को बात करनी चाहिए. हमारी समिति बात करने को तैयार है. बातचीत से समाधान निकलेगा और मामला सुलझ जाएगा.”
लालकिले की घटना का जिक्र करते हुए टिकैत ने कहा कि धार्मिक झंडे लगाने पर युवाओं को फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘गैर अनुमति वाले स्थान पर झंडे लगाने पर कौन सी धाराएं लगाई जाती हैं? वे धाराएं लगाएं, मामला दर्ज करें. कौन सा देशद्रोह का काम कर दिया?” टिकैत ने आरोप लगाया कि लालकिले की घटना सरकार की ‘‘साजिश” थी जिससे कि आंदोलन को खत्म किया जा सके और किसानों का मनोबल गिराया जा सके.
उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे की एकता अक्षुण्ण है और सरकार को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. टिकैत ने कहा, ‘‘कौन कहता है कि संयुक्त किसान मोर्चा बिखरेगा. न हमारा संयुक्त मंच विभाजित होगा और न ही मोर्चा बिखरेगा. यहां सिंघू बॉर्डर पर हमारा मंच रहेगा और इसके नेता हमारे प्रमुख होंगे.” उन्होंने कहा कि देशभर में बड़ी बैठकों का आयोजन कर और 40 लाख ट्रैक्टरों को शामिल कर आंदोलन को विस्तारित किया जाएगा. टिकैत ने कहा कि किसान नेता आंदोलन के प्रसार के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘चिंता मत करो, हम जीतेंगे. देशभर के किसान आपको और दिल्ली के आसपास 300 किलोमीटर के क्षेत्र को देख रहे हैं. हम देश के हर गांव में जाएंगे, बड़ी बैठकें करेंगे और आंदोलन से 40 लाख ट्रैक्टरों को जोड़ेंगे.”
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टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अनाज जरूरतमंदों तक पहुंचे और यह कॉरपोरेट के हाथ में न रहे. नए कृषि कानून न सिर्फ खेती-किसानी को बर्बाद करेंगे, बल्कि इनसे देश में छोटे व्यापारी और आम आदमी भी खत्म हो जाएगा. उन्होंने दोहराया कि आंदोलन पूरी तरह ‘‘गैर राजनीतिक” है और इसमें किसी राजनीतिक दल को उसके निहित स्वार्थ साधने का मौका नहीं मिलेगा. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तथा Latest News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
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