Lightning Alert : हर साल आकाशीय बिजली गिरने से दुनियाभर में लगभग 32 करोड़ पेड़ नष्ट हो जाते हैं. यह नुकसान वैश्विक पौधों के कुल जैविक द्रव्यमान (बायोमास) का लगभग 2 से 3 प्रतिशत है. एक रिसर्च के अनुसार, इस विनाश के कारण प्रतिवर्ष लगभग 0.77 से 1.09 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के रिसर्चर के मुताबिक, यह मात्रा जंगलों में आग लगने से हर साल उत्सर्जित होने वाले 1.26 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के लगभग बराबर है, जो पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकता है. उन्होंने बताया कि ‘ग्लोबल चेंज बायोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित किए गए आकाशीय बिजली गिरने से नष्ट हुए पेड़ों के अनुमान में बिजली गिरने से लगी आग से पेड़ों को पहुंची क्षति शामिल नहीं की गई है.
रिसर्चर एंड्रियास क्राउज ने क्या कहा?
‘टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख’ में भूमि सतह-वायुमंडलीय अंतःक्रिया के अध्यक्ष एवं प्रमुख रिसर्चर एंड्रियास क्राउज ने कहा कि जैसे-जैसे धरती का ताप बढ़ रहा है वैसे वैसे ही आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं अधिक आम होती जा रही हैं, इसलिए इसपर ध्यान देने की जरूरत है. क्राउज ने कहा, ‘‘वर्तमान में आकाशीय बिजली गिरने से नष्ट होते पेड़ों की दर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक है. हालांकि, मॉडल बताते हैं कि आकाशीय बिजली गिरने की आवृत्ति मुख्य रूप से मध्य और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में बढ़ेगी, जिसका अर्थ है कि शीतोष्ण और बोरियल वनों में भी बिजली से होने वाले पेड़ों के नुकसान की दर अधिक प्रासंगिक हो सकती है.’’
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क्षतिग्रस्त होने वाले पेड़ों की संख्या स्पष्ट नहीं होती
टीम ने कहा कि हर साल आकाशीय बिजली गिरने से सीधे तौर पर क्षतिग्रस्त होने वाले पेड़ों की संख्या स्पष्ट नहीं होती लेकिन उनके रिसर्च ने अनुमान लगाने में मदद करने वाली पहली विधि विकसित कर ली है. क्राउज ने कहा, ‘‘अब हम न केवल यह अनुमान लगाने में सक्षम हैं कि प्रतिवर्ष बिजली गिरने से कितने पेड़ नष्ट होते हैं, बल्कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और वैश्विक कार्बन भंडारण तथा वन संरचना पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने की भी क्षमता रखते हैं.’’