उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के शंख द्वार पर भीषण आग, दमकल की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंची

Mahakaleshwar Temple fire: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आग लगने की खबर सामने आ रही है. मौके पर दमकल की कई गाड़ियां पहुंची हैं.

By Ayush Raj Dwivedi | May 5, 2025 1:23 PM
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Mahakaleshwar Temple Fire: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर के शंख द्वार पर रविवार को अचानक आग लग गई, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया. मंदिर परिसर से उठती आग की लपटें और धुआं करीब 1 किलोमीटर दूर से भी साफ नजर आ रहा था. सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं और कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया गया. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, आग मंदिर के सीसीटीवी कंट्रोल रूम के ऊपर रखी बैटरी से लगी थी.

गनीमत रही कि इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. वहीं महाकाल मंदिर समिति के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं और स्थिति की गंभीरता से जांच की जा रही है. मंदिर में दर्शन व्यवस्था सामान्य रूप से जारी है.

महाकाल प्रशासन ने दी सफाई

महाकाल मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक के अनुसार, यह आग पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम की बैटरियों में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी. दमकल विभाग की तीन गाड़ियों ने मौके पर पहुंचकर तुरंत आग पर काबू पा लिया. इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है, केवल बैटरियों को नुकसान पहुंचा है.

हादसे की जानकारी मिलते ही कलेक्टर रोशन सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा, नगर निगम कमिश्नर आशीष पाठक सहित तमाम अधिकारी मंदिर परिसर में पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. घटना के बाद मंदिर परिसर में कुछ समय के लिए तनाव का माहौल रहा, लेकिन फिलहाल स्थिति पूरी तरह सामान्य है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब आग जैसे तांडव रूपी तत्व शिवस्थल पर प्रकट होते हैं, तो यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा में असंतुलन का संकेत देता है. ऐसे में पूजा-पाठ, हवन, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप जैसे उपाय करने की सलाह दी जाती है ताकि नकारात्मकता को शांत किया जा सके. मंदिर प्रशासन ने आग पर शीघ्रता से नियंत्रण पा लिया और कोई बड़ा जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना हमें यह चेतावनी देती है कि आस्था के साथ-साथ सुरक्षा और जागरूकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. साथ ही, यह समय है जब हमें अपने कर्म, सोच और व्यवहार का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए – क्योंकि देवी-देवता संकेत देना जानते हैं, और उनका संकेत कभी व्यर्थ नहीं जाता.

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