मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला प्रदेश के कांगपोकपी जिले से सामने आया है जहां प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों के सदस्यों ने कुकी-जो समुदाय के तीन जनजातीय लोगों की मंगलवार सुबह गोली मारकर हत्या कर दी. इस संबंध में अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई है.
मामले को लेकर जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार, हमलावर एक वाहन में आए और उन्होंने इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में स्थित इरेंग और करम इलाकों के बीच ग्रामीणों पर हमला किया. यह गांव पहाड़ों में स्थित है और यहां जनजातीय लोग निवास करते हैं.
अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं हिंसा में
आपको बता दें कि मणिपुर में तीन मई से बहुसंख्यक मेइती और जनजातीय कुकी समुदायों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं और अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. ताजा हिंसा को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि अभी हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं है. हमें केवल इतनी सूचना मिली कि घटना सुबह करीब आठ बजकर 20 मिनट पर हुई जब अज्ञात लोगों ने इरेंग और करम वैफेई के बीच एक इलाके में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी.
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आठ सितंबर को भी हुई थी हिंसा
यहां चर्चा कर दें कि इससे पहले आठ सितंबर को मणिपुर में तेंगनोउपल जिले के पल्लेल इलाके में भड़की हिंसा में तीन लोग मारे गए थे और 50 से अधिक घायल हो गए थे.
निष्क्रिय आतंकी समूह दोबारा सक्रिय हो रहे
इससे पहले खबर आई थी कि प्रतिबंधित समूहों यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े आतंकवादी कथित तौर पर उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने मणिपुर में एक सैन्य अधिकारी पर गोलियां चलाईं. अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अब अशांत मणिपुर में तनाव बढ़ाने के लिए किसी भी विरोध-प्रदर्शन के दौरान भीड़ में आतंकवादियों के शामिल होने की आशंका के बारे में चेताया है. यह चेतावनी पिछले हफ्ते सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल के घायल होने के बाद आई है, जो लोगों के एक समूह के साथ टकराव के दौरान घायल हो गए थे. इस समूह ने टेंगनौपाल जिले के पलेल के पास मोलनोई गांव में आदिवासियों पर हमला करने का प्रयास किया था, लेकिन सेना और असम राइफल्स ने इसे विफल कर दिया.
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कैसे भड़की हिंसा
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में भड़की जातीय हिंसा में कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया. आम जनजीवन पूरी तरह बेपटरी हो गया है. राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 फीसदी है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 फीसदी है, और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
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