Manmohan Singh Death: मनमोहन सिंह, जिसने बदल दी भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा
Manmohan Singh changed condition of Indian economy: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. पूर्व पीएम को भारत के आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है.
By ArbindKumar Mishra | December 26, 2024 11:33 PM
Manmohan Singh changed condition of Indian economy: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है. 1991 में जब वो देश के वित्त मंत्री थे तो उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसे हमेशा याद किया जाएगा. उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 1991 में नरसिंह राव सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्ति था. आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है. जब वो वित्त मंत्री बने थे, तब देश की हालत बेहद खराब थी. खर्च चलाने के लिए सोना तक गिरवी रखना पड़ा था. उन्होंने जैसे ही मंत्रालय संभाला स्थिति में सुधार होने लगी.
अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए डॉ मनमोहन सिंह ने उठाये ये कदम
डॉ मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये. जिसमें उन्होंने मुद्रा का अवमूल्यन किया था. टैक्स कम किया था. विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया था. साथ ही विदेशी कंपनियों को भारत में कारोबार के लिए आमंत्रित किया था. 1996 तब वो देश के वित्त मंत्री रहे और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया.
मनमोहन सिंह ने जुलाई, 1991 के बजट में अपने भाषण में कहा था, ‘‘पृथ्वी पर कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है. मैं इस प्रतिष्ठित सदन को सुझाव देता हूं कि भारत का दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उदय होना चाहिए, यह एक ऐसा ही एक विचार है.’’
डॉ मनमोहन सिंह के बारे में जानें खास बातें
1954: पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की. 1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम). 1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. 1971: वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए. 1972: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए. 1980-82: योजना आयोग के सदस्य. 1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर. 1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया. 1987-90: जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव. 1990: आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार नियुक्त हुए. 1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए. 1991: असम से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुने गए. 1991-96: पी वी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री. 1998-2004: राज्यसभा में विपक्ष के नेता. 2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री.