1. एकीकृत होने के बाद पहली बार दिल्ली में नगर निगम के चुनाव हुए. इससे पहले नगर निगम तीन जोन में बंटा हुआ था. उत्तर, पूर्व और दक्षिण जोन. बीजेपी की 15 साल की पकड़ को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा.
2. अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी ने पहली बार किसी भी चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी को हराया है.
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3. अपनी स्थापना के बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 7 चुनाव लड़े. जिसमें उसने चार में जीत दर्ज की और तीन में हार का सामना करना पड़ा. पहली बार 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2014 में लोकसभा चुनाव, 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2017 में MCD चुनाव, 2019 में लोकसभा चुनाव, 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव और इस साल का MCD चुनाव.
4. एमसीडी चुनाव में आप और भाजपा के बीच वोट शेयर का अंतर केवल 3 प्रतिशत रहा.
5. 2017 के एमसीडी चुनाव की तुलना में AAP ने लगभग 16 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किये. जबकि भाजपा ने अपना मूल मतदाता आधार बनाए रखा है और कुछ 3 प्रतिशत जोड़ा है.
6. एमसीडी में भ्रष्टाचार एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है. आम आदमी पार्टी ने इसे एक बड़ा चुनावी अभियान बनाया. हालांकि भाजपा ने दिल्ली के मंत्रियों सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को उजागर करते हुए आप को घेरने की पुरजोर कोशिश की.
7. सत्येंद्र जैन के विधानसभा क्षेत्र शकूर बस्ती के तीनों नगर निगम वार्डों में भाजपा ने जीत दर्ज की है. जो सरस्वती विहार, पश्चिम विहार और रानी बाग हैं.
8. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज में एमसीडी के चार में से तीन वार्डों में भाजपा ने जीत हासिल की. भाजपा ने विनोद नगर, मंडावली और मयूर विहार फेज 2 लिया. चौथा, पटपड़गंज वार्ड, AAP के पास गया.
9. 2017 के एमसीडी चुनाव के बाद से कांग्रेस के वोट शेयर में लगभग 11 फीसदी की गिरावट आयी है. कांग्रेस को इसबार केवल 9 सीटों पर जीत हासिल हुई है.
10. ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट आप और कांग्रेस के बीच विभाजित हो गए. जिससे बीजेपी को कई वार्डों में फायदा हुआ है, खासकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में, जहां फरवरी 2020 के अंत में दंगे भड़के थे.