MHA: हर जिले में बनेंगे जिला आपदा प्रबंधन योजना 

अगर हम पर्यावरण की चिंता नहीं करेंगे तो आपदाओं को रोक नहीं पाएंगे. गुजरात के बिपरजॉय तूफान में जीरो कैजुअल्टी यह दर्शाती है कि केंद्र, राज्य, स्थानीय इकाई, वैज्ञानिक, सुरक्षाकर्मी और जनता सभी मिलकर काम करें, तो बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं.

By Anjani Kumar Singh | June 16, 2025 7:37 PM
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MHA: पिछले 10 साल में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी(एनडीएमए), नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स(एनडीआरएफ) और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई ) के योगदान के कारण भारत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर  बनने की दिशा में अग्रसर है. जब भी भारत के डिजास्टर रिस्पांस का इतिहास लिखा जाएगा, तो मोदी सरकार के ये 10 वर्ष परिवर्तनकारी दशक के रूप में दर्ज किए जाएंगे. 10 वर्षों में मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन में क्षमता, दक्षता, गति और सटीकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. मोदी सरकार ने ‘ मिनिमम कैजुअलिटी ‘ के लक्ष्य पर चलते हुए 10 वर्षों में ‘ जीरो कैजुअलिटी’ के लक्ष्य को प्राप्त कर पूरे विश्व को अचंभित किया है. उक्त बातें केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नयी दिल्ली में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और आपदा मोचन बलों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा. 

हर जिले में बनेंगे जिला आपदा प्रबंधन योजना

 केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हर राहत आयुक्त 90 दिन में अपने राज्य में हर जिले की ज़िला आपदा प्रबंधन योजना बनाएं क्योंकि जब तक जिले की आपदा प्रबंधन योजना नहीं होगी तब तक हम आपदा के सामने तेज़ी से नहीं लड़ सकते. उन्होंने कहा कि आकाशीय बिजली की कार्ययोजना को भी जल्द बनाने की ज़रूरत है और कई राज्यों द्वारा इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम लागू करना भी अभी बाकी है. उन्होंने एनडीआरएफ की संरचना में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) की महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही. एसडीआरएफ के जवानों को एनडीआरएफ की तर्ज पर प्रशिक्षित करने के लिए भी एनडीआरएफ की तारीफ की. उन्होंने कहा कि एनडीएमए ने नीति विषयक संरचना, शोध कार्य और अनेक प्रकार के अभ्यास के लेखों को लोगों तक पहुंचाने, कई एप्स बनाने और ओवरऑल कोआर्डिनेशन में बहुत अच्छा काम किया है. यही कारण है कि एनडीआरएफ ने पूरे देश में ख्याति अर्जित की है, छवि बनाई है और सम्मान प्राप्त किया है.  इस अवसर पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन समेत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.

पर्यावरण संरक्षण के बिना शत प्रतिशत आपदा से बचना मुश्किल

गृह मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज पूरा विश्व आपदाओं से जूझ रहा है. पर्यावरण संरक्षण के बिना शत-प्रतिशत आपदा से बचना असंभव है, अगर हम पर्यावरण की चिंता नहीं करेंगे तो आपदाओं को रोक नहीं पाएंगे.गुजरात के बिपरजॉय तूफान में ज़ीरो कैज़ुअल्टी यह दर्शाती है कि केंद्र, राज्य, स्थानीय इकाई, वैज्ञानिक, सुरक्षाकर्मी और जनता सभी मिलकर बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं.उन्होंने हीट वेव से निपटने के लिए एक एक्शन प्लान बनाने की बात कही, जिसका टाइम टेबल हीट के अनुभव के आधार पर बनाया जाये. शाह ने कहा कि विगत दो वर्षों से राहत और आपदा प्रबंधन से जुड़ी सभी एजेंसियों की विभिन्न कार्यशालाओं को एक ही बैठक के तहत लाकर संपूर्ण सरकार का दृष्टिकोण के साथ एक वैचारिक मंच बनाने का काम किया है. इससे कमियों को दूर करने और पूरे देश को आपदा के सामने लड़ाई के लिए तैयार करने में मदद मिलती है. मल्टी-स्टेकहोल्डर अप्रोच और इंटरएजेंसी कोआर्डिनेशन बहुत अच्छे तरीके से हो पाता है और इस परंपरा को हमें और सुदृढ़ करना चाहिए.

ज़ीरो कैजुअल्टी अप्रोच के साथ बढ़ेंगे आगे

गृह मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हम ज़ीरो कैजुअल्टी अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे.हमने आपदा से लड़ने की पूरी तैयारी की है लेकिन हमें आपदा के कारणों के मूल में भी जाना पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ही आपदाओं का मूल कारण हैं और पर्यावरण संरक्षण को हमें साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने पिछले 11 साल में पर्यावरण संरक्षण के लिए अतुलनीय काम किया है. एक समग्र दृष्टिकोण को प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के सामने रखा है, हमने विश्व के सामने मिशन लाईफ रखा, प्रो प्लेनेट पिपुल बनाने का प्रस्ताव रखा, अंतर्राष्ट्रीय सौर एलायंस और ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस बनाने का काम किया और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी जी ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण का 10 सूत्रीय एजेंडा दिया. सीडीआरआई की रचना की और जी-20 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर टास्क फोर्स का गठन भी किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण के बिना शत-प्रतिशत आपदा से बचना असंभव है और अगर हम पर्यावरण की चिंता नहीं करेंगे तो आपदाओं को रोक नहीं पाएंगे.

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