उत्तराखंड के बाद यूसीसी की तरफ असम सरकार का बड़ा कदम, Muslim Marriage and Divorce Act 1935 खत्म
Muslim Marriage and Divorce Act 1935 : असम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने समान नागरिक कानून की तरफ पहला कदम बढ़ाते हुए मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म करने का फैसला किया है.
By Aditya kumar | February 24, 2024 1:54 PM
Muslim Marriage and Divorce Act 1935 :असम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने समान नागरिक कानून (UCC) की तरफ पहला कदम बढ़ाते हुए मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म करने का फैसला किया है. जानकारी हो कि बीते दिन शुक्रवार को असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी जहां इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. ऐसे में इस एक्ट के खत्म होने के बाद राज्य में शदियां और तलाक स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होंगी.
#WATCH | On Assam Government repealing the Assam Muslim Marriages & Divorces Registration Act, AIUDF MLA Dr. (Hafiz) Rafiqul Islam says, "This Government doesn't have the courage to bring UCC. They can't do it. What they brought in Uttarakhand, is not UCC either…They were… pic.twitter.com/gA3ELz5yPO
Muslim Marriage and Divorce Act 1935 : यूसीसी की तरफ बढ़ता कदम
कैबिनेट की बैठक के बाद ब्रीफिंग करते हुए राज्य के मंत्री जयंत मल्लाबरुआ ने मीडिया को बताया कि अब मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स से संबंधित सारे मामले स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सुलझाए जाएंगे. साथ ही उन्होंने यह बताया कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि हम समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहे हैं. इसी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को निरस्त कर दिया गया है. इसके निरस्त होने से अब इस एक्ट के तहत कोई भी मुस्लिम विवाह या तलाक रजिस्टर नहीं किया जाएगा.
Muslim Marriage and Divorce Act 1935 : हमारे पास एक स्पेशल मैरिज एक्ट
आगे उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि हमारे पास एक स्पेशल मैरिज एक्ट है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी मामले उस एक्ट के माध्यम से सुलझाएं जाएं. उन्होंने बताया कि अब मुस्लिम विवाह और तलाक के रजिस्टर के मुद्दे का अधिकार केवल जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार को ही होगा. वहीं, मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्ट एक्ट के तहत काम कर रहे 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार भी हटा दिए गए हैं. हालांकि, उन्हें दो लाख रुपये एकमुश्त मुआवजे के साथ देकर उनके कार्यों से मुक्त करने की बात कही जा रही है.
Muslim Marriage and Divorce Act 1935 : बाल विवाह के खिलाफ कदम
कैबिनेट मंत्री ने यह भी कहा है कि इस फैसले से उनकी सरकार राज्य में बाल विवाह के खिलाफ भी एक कदम उठाया रही है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के पीछे का मुख्य उद्देश UCC की ओर बढ़ना है. साथ ही उन्होंने कहा, ‘यह अधिनियम, जो ब्रिटिश काल से चला आ रहा है, हमें लगता है आज अप्रसांगिक हो गया है. हमने इस एक्ट के तहत कई कम उम्र के विवाह भी देखे हैं. हमारा मानना है कि यह बाल विवाह को खत्म करने की दिशा में भी एक कदम है, जिसमें 21 साल से कम उम्र के पुरुषों और 18 साल से कम उम्र की महिलाओं की शादी होती है.’