Namami Ganga: देश में नदियों के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है. ऐसे में नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना शुरू की है. इस योजना के तहत देश की प्रमुख नदियों में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, जनभागीदारी और अन्य कई तरह के उपाय किए जा रहा है. दिल्ली में यमुना की सफाई भी एक अहम मुद्दा है. नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए बुधवार को दिल्ली में एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में देश स्तर पर नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए तकनीक और इनोवेशन के उपायों पर चर्चा की गयी.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय बैठक में बड़ी नदियों के साथ ही छोटी नदियों के प्रबंधन में तकनीक और इनोवेशन की संभावना पर विचार किया गया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नदियों को स्वच्छ बनाने में सहभागिता की भावना, तकनीकी खोज और वैज्ञानिक पहलू का अहम योगदान है. नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए वैज्ञानिकों की खोज का जमीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन होना जरूरी है.
केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा. साथ ही नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने के प्रयास में सशक्त भागीदार की भूमिका निभानी होगी. सभी को नदियों के प्रदूषित होने के कारण का पता लगाकर उसे दूर करने का गंभीर प्रयास करना होगा. यह प्रयास देश में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी है. क्योंकि देश का भविष्य पानी के बिना संभव नहीं है.
प्रदूषण को रोकने में वैश्विक संस्थानों की भागीदारी जरूरी
बैठक के दौरान आईआईटी(बीएचयू), आईआईटी दिल्ली और डेनमार्क के सहयोग से विकसित दो नयी खोज का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान आईएनडी रिवर और सपोर्ट सिस्टम के जरिये बताया गया है कि कैसे इन तकनीक का प्रयोग कर नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है. इस दौरान भूजल स्तर बनाए रखने के लिए मैनेज्ड एक्वीफर रिचार्ज पर भी चर्चा की गयी. इस तकनीक के जरिये नदियों के आसपास भूजल स्तर बढ़ाकर नदियों को पुनर्जीवित करने का खाका पेश किया गया.
केंद्रीय मंत्री ने दो अहम प्रोजेक्ट वरुणा बेसिन के हाइड्रो जियोलॉजिकल मॉडलिंग और गंगा बेसिन में फिंगरप्रिंट एनालिसिस ऑफ इमर्जिंग पोल्यूटेंट प्रोजेक्ट की समीक्षा की. इन दोनों प्रोजेक्ट में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. बैठक के दौरान आईआईटी दिल्ली ने आएनडी-रिवर पहल के तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के गठन का रोडमैप पेश किया. यह सेंटर नमामि गंगे योजना और नीदरलैंड सरकार के सहयोग से बनेगा. यह सेंटर सिर्फ नदियों की सफाई के लिए काम नहीं करेगा बल्कि पानी के क्षेत्र में स्टार्टअप को भी बढ़ावा देगा.