धरती की हर हरकत पर भारत की होगी नजर, 30 जुलाई को लॉन्च होगा NISAR मिशन

NISAR Mission 2025: ISRO ने बताया कि NISAR मिशन दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के एक दशक से अधिक लंबे सहयोग का परिणाम है. यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह का स्कैन करेगा और दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा उपलब्ध कराएगा.

By Shashank Baranwal | July 26, 2025 2:48 PM
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NISAR Mission 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 30 जुलाई को अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के साथ मिलकर तैयार किए गए ऐतिहासिक मिशन निसार (NISAR – NASA ISRO Synthetic Aperture Radar) को लॉन्च करने जा रहा है. यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है.

श्रीहरिकोटा से होगी लॉन्चिंग

इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने जानकारी दी कि NISAR उपग्रह को एक भारतीय रॉकेट GSLV-F16 द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. उपग्रह की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से 30 जुलाई शाम 5:40 बजे की जाएगी. इस अत्याधुनिक मिशन का अनुमानित बजट ₹12,500 करोड़ है.

12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा NISAR

ISRO ने बताया कि NISAR मिशन दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के एक दशक से अधिक लंबे सहयोग का परिणाम है. यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह का स्कैन करेगा और दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा उपलब्ध कराएगा. यह पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म बदलावों की निगरानी भी करेगा. इसमें शामिल है:-

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  • वनस्पति में बदलाव
  • बर्फ की चादरों का खिसकना
  • जमीन की विकृति (डिफॉर्मेशन)
  • समुद्री स्तर में परिवर्तन
  • भूकंप से हुई दरारें
  • सतही जल संसाधनों की मैपिंग
  • तूफानों की निगरानी और आपदा प्रबंधन

पृथ्वी की निगरानी रखने वाला दुनिया का पहला रडार सैटेलाइट

NISAR मिशन को ड्यूल-बैंड रडार सिस्टम खास बनाता है. इसमें दो रडार बैंड नासा का L-बैंड और इसरो का S-बैंड लगाए गए हैं. यह तकनीक न केवल घने बादलों या जंगलों के आर-पार देख सकती है, बल्कि जमीन के नीचे के हल्के बदलावों को भी रिकॉर्ड कर सकती है. इस उपग्रह को 743 किलोमीटर ऊंचाई वाली सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, जिसका झुकाव 98.40 डिग्री होगा.

SAR तकनीक से होगी हर मौसम में निगरानी

NISAR उपग्रह में सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसके जरिए:-

  • हर 12 दिन में पृथ्वी की पूरी सतह की स्पष्ट तस्वीरें ली जाएंगी.
  • 12 मीटर के मेश रिफ्लेक्टर एंटीना के माध्यम से डेटा प्राप्त किया जाएगा.
  • सैटेलाइट को इसरो के I3K बस सिस्टम में स्थापित किया गया है.
  • यह उपग्रह 242 किमी की स्कैनिंग चौड़ाई और उच्च स्थानिक रेजॉल्यूशन के साथ कार्य करेगा.
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