NISAR Satellite: निसार की ऐतिहासिक उड़ान, भूकंप, सुनामी समेत कुदरती तबाही की देगा जानकारी

NISAR Satellite: निसार सैटेलाइट धरती पर भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से ही चेतावनी दे देगा. यह दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जो दो रडार फ्रीक्वेंसी यानी एल बैंड और एस बैंड का इस्तेमाल करके पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा. इसके अलावा यह उपग्रह किसी भी मौसम में, दिन-रात 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है. इसे इसरो और नासा की ओस से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

By Pritish Sahay | July 30, 2025 8:14 PM
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NISAR Satellite: नासा-इसरो निसार (NISAR) उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ16 के जरिए प्रक्षेपित कर दिया गया है. 30 जुलाई 2025 को भारत और अमेरिका की साझेदारी में यह ऐतिहासिक मिशन उड़ान भर रहा है. निसार यानी नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट. अंतरिक्ष में अन्वेषण के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के मकसद से भारत के इसरो और अमेरिका के नासा का संयुक्त रूप से तैयार किया गया सैटेलाइट. यह पृथ्वी का अवलोकन करेगा.

श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग

‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार यानी निसार उपग्रह को पूरी पृथ्वी का अध्ययन करेगा. इसे पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर भी कहा जा रहा है. इसे सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में भेजा जा रहा है. निसार उपग्रह मानव कौशल और दो अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक दशक से अधिक समय तक जारी रहे तकनीकी सहयोग का परिणाम है. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया है. धरती का अवलोकन करने वाले उपग्रह निसार को जीएसएलवी-एस16 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. निसार का वजन 2,393 किलोग्राम है.

क्या जानकारी देगा निसार?

निसार सैटेलाइट धरती पर भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से ही चेतावनी दे देगा. यह दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जो दो रडार फ्रीक्वेंसी यानी एल बैंड और एस बैंड का इस्तेमाल करके पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा. इसके अलावा यह उपग्रह किसी भी मौसम में, दिन-रात 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है. यह भूस्खलन का पता लगाने, आपदा प्रबंधन में मदद करने और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने में भी सक्षम है. उपग्रह से हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा.

जीएसएलवी-एस16 रॉकेट से लॉन्च

इसे जीएसएलवी-एस16 रॉकेट से अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया. जीएसएलवी-एस16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. यह चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित होगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती 29 जुलाई को दोपहर दो बजकर 10 मिनट पर शुरू हो गई थी.

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