Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बहानागा स्कूल के उस भवन को ध्वस्त किया जा रहा है जिसमें दुर्घटना में मारे गये लोगों के शवों को रक्षा गया था. स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि दुर्घटना में मारे गए लोगों के शवों को स्कूल परिसर में रखा गया था जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं. अभिभावक और बच्चों का कहना है कि वहां पर शवों को रखा गया था हम वहां नहीं जाएंगे.
4 से 5 महीनों में बनेगा नया भवन
स्कूल के शिक्षक ने बताया कि कल यानी गुरुवार को जिलाधिकारी ने स्कूल का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि ये सब एक अंधविश्वास है. जिन कमरों में शवों को रखा गया था उसको तोड़ कर नया भवन 4 से 5 महीनों में बनाया जाएगा. तब तक के लिए अस्थायी व्यवस्था कर बच्चों को पढ़ाया जाएगा.
अभिभावक और बच्चे कह रहे हैं कि वहां पर शवों को रखा गया था हम वहां नहीं जाएंगे। कल जिलाधिकारी ने दौरा किया था। ये सब एक अंधविश्वास है। जिन कमरों में शवों को रखा गया था उसको तोड़ कर नया भवन 4-5 महीनों में बनाया जाएगा। तब तक के लिए अस्थायी व्यवस्था कर बच्चों को पढ़ाया जाएगा: स्कूल… pic.twitter.com/OW86vKraD9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 9, 2023
65 साल पुराना है स्कूल
ओडिशा सरकार ने आज यानी शुक्रवार को 65 साल पुराने बाहानगा हाई स्कूल की इमारत को गिराना शुरू कर दिया है. विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में इमारत को गिराया जा रहा है. एसएमसी ने कहा था कि विद्यालय भवन पुराना है और सुरक्षित नहीं है, वहीं बच्चे भी इसलिए स्कूल नहीं आ रहे हैं क्योंकि कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना में मारे गए लोगों के शव वहां रखे गए थे. इसके बाद इमारत को गिराने का फैसला किया गया.
सीएम नवीन पटनायक ने की थी बैठक
बता दें, एसएमसी के फैसले और स्थानीय लोगों के साथ अभिभावकों के अनुरोध पर प्रदेश के सीएम नवीन पटनायक ने कल यानी गुरुवार को मुख्य सचिव समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और संस्थान के पुनर्निर्माण की मंजूरी दे दी. उन्होंने पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला और डिजिटल कक्षाओं समेत आधुनिक सुविधाओं के साथ आदर्श विद्यालय का निर्माण करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है.
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स्कूल में रखे गये थे मृतकों के शव
गौरतलब है कि ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे में मारे गये 288 यात्रियों के शवों को इस स्कूल में रखा गया था. इस हादसे में 1200 से अधिक लोग घायल भी हुए थे. स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) ने शुरू में शव रखने के लिए केवल तीन कक्षाओं की अनुमति दी थी. बाद में जिला प्रशासन ने पहचान के लिए शवों को रखने के लिए स्कूल के हॉल का इस्तेमाल किया था. दो दिन बाद शवों को राज्य सरकार ने स्कूल से हटा कर भुवनेश्वर के विभिन्न अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया था.
भाषा इनपुट के साथ
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