Pitru Paksh 2021: सर्व पितृ अमावस्या पर गंगा-यमुना किनारे उमड़ी भीड़, लोगों ने पितरों से मांगा आशीर्वाद

काशी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या पर तीन शुभ योग बने. इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध एक ही राशि में रहेंगे. सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है. इसके साथ चंद्रमा और मंगल महालक्ष्मी योग बना रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2021 3:15 PM
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Pitru Paksh 2021: पितृपक्ष का समापन बुधवार को सर्व पितृ अमावस्या के साथ हो गया. सर्व पितृ अमावस्या के दिन काशी में सभी गंगा घाटों और पिशाचमोचन कुंड पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान दान और तर्पण किया गया.

काशी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या पर तीन शुभ योग बने. इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध एक ही राशि में रहेंगे. सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है. इसके साथ चंद्रमा और मंगल महालक्ष्मी योग बना रहे हैं. आज के दिन अपने पितरों की शांति के लिए स्नान, ध्यान, पूजा-तर्पण करना शुभ माना जाता है. जिसकी मौत की तारीख पता नहीं हो, उसका श्रार्द्ध और पिंडदान भी सर्व पितृ अमावस्या को किया जाता है.

काशी, प्रयागराज, गया में पिंडदान किया जाता है. इन तीनों जगह जो पिंडदान नहीं करते हैं, वो ब्रह्मकपाली बदरीनाथ में पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. काशी में पिंडदान का विशेष महात्म्य है. हिंदू पंचांग के अनुसार ऐसा करने से पितृ लोक से आए हुए पूर्वज अपने लोक चले जाते हैं. अपने पितरों की शांति के लिए आए राधेश्याम चौरसिया ने बताया कि आज पितृपक्ष का आखिरी दिन है. अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए हमलोंग पिंड बनाकर, दान और तर्पण करते हैं. ऐसा करने से हमारे पूर्वजों को शांति मिल जाती है.

सर्व पितृ पक्ष अमावस्या को लेकर ताजनगरी आगरा में यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. पितरों को तर्पण करने, पिंड दान के लिए श्रद्धालुओं ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना किया. यमुना का हाथी घाट हो या बल्केश्वर का पार्वती घाट या फिर कैलाश मंदिर घाट, इन सभी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी थी. यमुना में डुबकी लगा कर श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की शांति की कामना की.

पंडित विमल उपाध्याय के मुताबिक पित्र पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या पर हाथी घाट पर लोगों की भारी भीड़ देखी गई. लोग यमुना में स्नान करने के लिए पहुंचे. सुबह से ही घाटों पर लोग यमुना में अपने पूर्वजों का विदाई देने के लिए पहुंच रहे थे. माना जाता जाता है पितर अपने वंशजों के हाथ से तर्पण ग्रहण करके वापस चले जाते हैं. इस दौरान पितर अपने वंशजों को भरपूर आशीर्वाद भी देना नहीं भूलते.

(रिपोर्ट:- वाराणसी से विपिन सिंह और आगरा से मनीष गुप्ता)

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