‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना का उद्देश्य न केवल देशभर के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देना है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति तथा विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखना भी है. ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ में 18 पारंपरिक शिल्प-कलाओं को शामिल किया गया है.
केंद्र सरकार ने ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी. इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है.
इसके तहत, ‘विश्वकर्मा’ (कारीगरों व शिल्पकारों) को बायोमेट्रिक आधारित ‘पीएम विश्वकर्मा पोर्टल’ का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से नि:शुल्क पंजीकृत किया जाएगा. उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी और कौशल उन्नयन के लिए बुनियादी तथा उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना के लॉन्च से पहले द्वारका में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में कारीगरों और शिल्पकारों से मुलाकात और बातचीत की.
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत करते हुए कारीगरों और शिल्पकारों को ‘मेक इन इंडिया’ की शान बताया. उन्होंने कहा कि अब देश को ‘लोकल के लिए वोकल’ होने के प्रण फिर दोहराना है. उन्होंने कहा, अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं. मैं सभी देशवासियों से ‘लोकल’ (स्वदेशी) उत्पाद खरीदने का आग्रह करूंगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 प्रतिनिधियों को विश्वकर्मा कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उपहार भेंट किए गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारीगरों तथा शिल्पकारों से जीएसटी पंजीकृत दुकानों से ‘मेड इन इंडिया’ टूलकिट खरीदने का आग्रह किया.
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