इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, ‘इस किताब की भूमिका में लिखा हुआ है कि डॉ हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे, जिन्होंने इतिहास बनाया, इतिहास बनते हुए देखा और इतिहास लिखा भी. ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं. महताब जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया और जेल की सजा काटी थी.’
उन्होंने कहा कि करीब डेढ़ वर्ष पहले हम सब ने ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब जी की एक सौ बीसवीं जन्मजयंती मनाई थी. आज हम उनकी प्रसिद्ध किताब ‘ओड़िशा इतिहास’ के हिंदी संस्करण का लोकार्पण कर रहे हैं. ओड़िशा का व्यापक और विविधताओं से भरा इतिहास देश के लोगों तक पहुंचे, ये बहुत आवश्यक है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इतिहास केवल अतीत का अध्याय ही नहीं होता, बल्कि भविष्य का आइना भी होता है. इसी विचार को सामने रखकर आज देश अमृत महोत्सव में आज़ादी के इतिहास को फिर से जीवंत कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाइक संग्राम, गंजाम आंदोलन और लारजा कोल्ह आंदोलन से लेकर सम्बलपुर संग्राम तक ओड़िशा की धरती ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की ज्वाला को हमेशा नई ऊर्जा दी. कितने ही सेनानियों को अंग्रेजों ने जेलों में डाला, यातानाएं दी, लेकिन आजादी का जूनून कम नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि ओड़िशा के अतीत को आप खंगालें, आप देखेंगे कि उसमें हमें ओड़िशा के साथ-साथ पूरे भारत की ऐतिहासिक सामर्थ्य के भी दर्शन होते हैं. इतिहास में लिखित ये सामर्थ्य वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है, जो भविष्य के लिए हमारा पथप्रदर्शन करता है.
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Posted by : Vishwat Sen