Punjab Farmers Protest: पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी धरना स्थल पर आज किसान महापंचायत में भारी भीड़ उमड़ी. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के 40वें दिन कहा कि जब तक केंद्र फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी नहीं देता, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे. अपने 11 मिनट के संबोधन में दल्लेवाल ने अन्य राज्यों के किसान संगठनों से एमएसपी के लिए इसी तरह की लड़ाई शुरू करने की अपील की, ताकि केंद्र को यह संदेश दिया जा सके कि यह केवल पंजाब का संघर्ष नहीं है.
70 वर्षीय बुजुर्ग, जिनकी कल रात जांच की गई ने जोर देकर कहा कि चाहे वे जीवित रहें या नहीं, आंदोलन “सफल होने के लिए बाध्य है”. “यह करो या मरो की लड़ाई है. मैं तब तक अपना अनशन समाप्त नहीं करूंगा जब तक फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून नहीं बन जाता. हम संसदीय समिति (कृषि पर) की सिफारिशों के अनुसार कानूनी गारंटी चाहते हैं,” दल्लेवाल ने मंच पर एक अस्थायी कक्ष के अंदर रखे बिस्तर से भीड़ को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने स्वास्थ्य से ज्यादा किसानों की आजीविका की चिंता है. “मैं समझता हूं कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करना मुश्किल है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसके बारे में कुछ नहीं करना चाहिए,” उन्होंने किसानों से पंजाब के हर गांव से समर्थकों से भरा एक ट्रैक्टर-ट्रेलर खनौरी भेजने का आग्रह करते हुए कहा.
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दल्लेवाल को जब मंच पर लाया गया तो भगदड़ जैसी स्थिति देखी गई. जहां महिलाएं “श्रद्धा” जता रही थीं, वहीं युवा किसान नेता की तस्वीरें लेने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे, जिनकी तबीयत खराब चल रही है. कुछ लोग उनकी एक झलक पाने के लिए सड़क किनारे पेड़ों पर चढ़ गए. हाईवे पर भी अफरा-तफरी मच गई क्योंकि लोग एक-दूसरे से टकराकर गाड़ी चला रहे थे. हरियाणा की ओर जाने वाली कई बसें जाम में फंसने से बचने के लिए डिवाइडर पर चढ़ती नजर आईं.
कल शाम को दल्लेवाल ने रक्त, मूत्र और ईसीजी परीक्षण करवाने के लिए सहमति जताई. रिपोर्ट में उनके महत्वपूर्ण अंगों के स्थिर होने की पुष्टि होने के बाद ही उन्हें दोपहर 2 बजे के आसपास एम्बुलेंस में मंच पर ले जाया गया. एक किसान नेता ने बताया कि ठंड के मौसम में दल्लेवाल को मंच पर लाना भी एक चुनौती थी, क्योंकि उनका रक्तचाप उतार-चढ़ाव कर रहा था. एक डॉक्टर ने बताया कि संबोधन के बाद जब उन्हें वापस उनके टेंट में ले जाया गया तो उनका रक्तचाप गिर गया और उन्हें उल्टी हो गई.
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एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा आयोजित ‘महापंचायत’ एक महीने से भी कम समय में किसानों द्वारा शक्ति का चौथा बड़ा प्रदर्शन था. किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे स्थल शंभू में 6, 8 और 14 दिसंबर को भीषण टकराव हुआ था, जब अर्धसैनिक और हरियाणा पुलिस के जवानों ने प्रदर्शनकारियों के दिल्ली मार्च को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया था. किसान पिछले साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली के लिए उनके मार्च को रोक दिया गया था. दोनों किसान समूहों के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने दावा किया कि ‘महापंचायत’ के लिए एक लाख से अधिक लोग एकत्र हुए थे. उन्होंने कहा कि 10 जनवरी को पूरे देश में केंद्र सरकार के पुतले जलाए जाएंगे जबकि 6 जनवरी को शंभू सीमा पर गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा.
विरोध प्रदर्शन से पंजाब और सिखों को नुकसान हो रहा है: टिकैत
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को विवाद खड़ा करते हुए कहा कि खनौरी-शंभू सीमा पर चल रहे आंदोलन से केंद्र को ‘लाभ’ हो रहा है, लेकिन इससे पंजाब सरकार और सिख समुदाय को नुकसान हो रहा है. वह टोहाना में एसकेएम की ‘किसान महापंचायत’ में बोल रहे थे.
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