इससे पहले, विधायकों के समूह ने मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एक बैठक की, जिसे सचिन पायलट के अगले मुख्यमंत्री बनने की संभावना को विफल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि विधायकों को इसमें एक प्रस्ताव पास करने को कहा जाने वाला था कि नये मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए हाइकमान को अधिकृत किया जाता है. गहलोत गुट को इस बात की आशंका थी कि हाइकमान सचिन पायलट को सत्ता सौंपने जा रही है. बैठक में शामिल होने के लिए सचिन पायलट, अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक गहलोत मौजूद थे.
200 सदस्यीय है विधानसभा
सरकार के साथ
कांग्रेस 108
निर्दलीय 13
रालोद 01
माकपा 02
भारतीय ट्राइबल पार्टी 02
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विपक्ष में
भाजपा 71
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 03
कुल 74
-बहुमत के लिए चाहिए 100 विधायकों का समर्थन
राष्ट्रपति शासन की ओर राज्य : भाजपा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने रविवार रात कहा कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं. राठौड़ ने ट्वीट किया, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, आप नाटक क्यों कर रहे हों. मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी. आप भी इस्तीफा दे दीजिए.
भाजपा कर रही साजिश : कांग्रेस
गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि भाजपा राज्य की कांग्रेस सरकार को गिराना चाहती है. कहा कि कांग्रेस के विधायकों के पार्टी के विधायक दल की बैठक में शामिल न होकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी के आवास पहुंचने को आलाकमान के प्रति विद्रोह के रूप में नहीं देखा जाये, बल्कि यह हमारे परिवार की बात है.
पहले भी हो चुका है गहलोत-पायलट के बीच टकराव
दिसंबर 2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और पायलट का टकराव हुआ था. पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. जुलाई 2020 में, पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. तब से पायलट गहलोत गुट को खटकते रहे हैं. गहलोत समर्थक नेताओं का कहना है कि गहलोत अनुभवी नेता हैं और वे सबको साथ लेकर चलते हैं.