Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष में खेती करने लगे शुभांशु शुक्ला, मेथी और मूंग उगाई

Shubhanshu Shukla: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने अंतरिक्ष प्रवास के अंतिम चरण में एक किसान की भूमिका में नजर आए. उन्होंने ‘पेट्री डिश’ में मूंग और मेथी उगाई. उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) के फ्रीजर में रखा और इनकी तस्वीर साझा की.

By ArbindKumar Mishra | July 10, 2025 7:35 AM
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Shubhanshu Shukla: शुभांशु शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन में मूंग और मेथी उगाना एक रिसर्च के तहत किया है. ताकि पता लगाया जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को कैसे प्रभावित करता है.

अंतरिक्ष पर खेती करने के रिसर्च में दो वैज्ञानिक हैं शामिल

मेथी और मूंग के बीज को अंकुरित करने के प्रयोग का नेतृत्व दो वैज्ञानिकों कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में कार्यरत रविकुमार होसामणि और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सुधीर सिद्धपुरेड्डी कर रहे हैं. एक्सिओम स्पेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद, बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में होने वाले बदलावों का पता लगाया जा सके.

सूक्ष्म शैवाल पर भी रिसर्च कर रहे हैं शुक्ला

एक अन्य प्रयोग के तहत शुक्ला सूक्ष्म शैवाल ले गए हैं, जिनकी भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन उत्पन्न करने की क्षमता की जांच की जा रही है. सूक्ष्म शैवालों के किसी भी परिस्थिति में ढल जाने की क्षमता उन्हें लंबी अवधि के मिशनों में मानव जीवन की मदद के लिए आदर्श बनाती है.

अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती पर रिसर्च

शुक्ला ने बीजों के उगाने के प्रयोग की भी तस्वीरें लीं. इसके तहत मिशन के बाद भी कई पीढ़ियों तक छह किस्में उगाई जाएंगी. इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण हेतु वांछनीय गुणों वाले पौधों की पहचान करना है. शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष केंद्र पर उनके अनुसंधान कार्य विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में फैले हुए हैं. शुक्ला ने कहा, ‘‘स्टेम कोशिका पर अनुसंधान से लेकर बीजों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने और अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ने वाले संज्ञानात्मक असर का मूल्यांकन करने तक अध्ययन किया. जब वह केंद्र में लगे स्क्रीन के साथ बातचीत करते हैं तो यह सब अद्भुत होता है. मुझे अनुसंधानकर्ताओं और केंद्र के बीच इस तरह का सेतु बनने और उनकी ओर से अनुसंधान करने पर गर्व है.’’

10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट आएंगे शुभांशु

एक्सिओम-4 यान से आईएसएस पहुंचे शुक्ला और उनके साथी कक्षीय प्रयोगशाला में 12 दिन बिता चुके हैं. उनके फ्लोरिडा तट पर मौसम की स्थिति के आधार पर, 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अब तक आईएसएस से एक्सिओम-4 यान के अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. आईएसएस पहुंचे एक्सिओम-4 मिशन की अवधि 14 दिनों तक है.

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