TB Elimination: देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वैश्विक स्तर पर सतत विकास लक्ष्य के तहत टीबी का उन्मूलन वर्ष 2030 तक रखा गया है. देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन योजना के तहत बीपीएएलएम प्रक्रिया को मल्टी-ड्रग-रेसिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस(एमडीआर-टीबी) को मंजूरी दी है. इस प्रक्रिया के तहत टीबी का इलाज बेहतर तरीके से कम समय में हो सकेगा. इस प्रक्रिया में टीबी की नयी दवा प्रीटोमैनिड के साथ बेडाक्वीलीन और लाइनजोलिड के साथ दिया जायेगा. प्रीटोमैनिड के उपयोग का लाइसेंस पूर्व में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की ओर से दिया गया है. बीपीएएलम में चार दवाओं बेडाक्वीलिन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मोक्सीफ्लॉक्ससिन का कॉम्बिनेशन होगा. यह प्रक्रिया काफी असरदार, सुरक्षित और जल्दी इलाज में सहायक है. परंपरागत एमडीआर-टीबी के इलाज में कम से कम 20 महीने का समय लग जाता है और दवा के साइड इफेक्ट काफी गंभीर होता है. नयी इलाज प्रक्रिया में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी का इलाज 6 महीने में हो सकेगा और इसमें सफलता की दर भी काफी अधिक है. इस प्रक्रिया से देश में 75 हजार ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों का इलाज कम समय में हो सकेगा और पैसे की भी बचत होगी.
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