सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि 26 अक्टूबर को कोवैक्सीन के इमरजेंसी यूज लिस्टिंग पर टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की मीटिंग में चर्चा होगी. इसके बाद उस पर कोई अंतिम फैसला लिया जायेगा. भारत बायोटेक के साथ मिलकर WHO काम कर रहा है. भारत बायोटेक ने अपनी ओर से तमाम दस्तावेज और आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास जमा कराये हैं. जो भी कमियां रह गयीं हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है.
कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिल जाने के बाद दुनिया भर के देशों को इसका निर्यात किया जा सकेगा. साथ ही कोवैक्सीन लगवाने वालों को विदेश यात्रा की भी मंजूरी मिल जायेगी. अभी कई देश कोवैक्सीन लेने वालों को अपने यहां आने की अनुमति नहीं देते. उन्हें कोरोना टेस्ट करवाकर निगेटिव रिपोर्ट के साथ यात्रा करनी होती है. ब्रिटेन जैसे देशों में कोवैक्सीन लगवाने वालों को कोरेंटिन करने का भी प्रावधान है.
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पांच अक्टूबर को डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट कर कहा था कि हैदराबाद में वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने उसके समक्ष कोरोना की सुरक्षा और उसकी एफिकेसी के संबंध में अपना प्रेजेंटेशन दिया है. कंपनी ने कोवैक्सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल और उससे संबंधित डाटा हू को दिये थे. टीकाकरण पर विशेषज्ञों की रणनीतिक सलाहकार समिति उस पर विचार करेगी और अपनी सिफारिश डब्ल्यूएचओ को देगी.
उल्लेखनीय है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को 14 देशों ने मंजूरी दे दी है. कंपनी ने 7 करोड़ से अधिक कोवैक्सीन का निर्यात किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिलने के बाद दुनिया के अन्य देशों में भी इसका निर्यात हो सकेगा. भारत बायोटेक ने जुलाई में जो डाटा दिये थे, उसमें कोवैक्सीन की एफिकेसी 77.8 फीसदी बतायी गयी थी.
Posted By: Mithilesh Jha
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